गया : नगर निगम की ओर से इन दिनों सभी होल्डिंग टैक्स देनेवाले घरों के बाहर यूनिक नंबर प्लेट लगाये जा रहे हैं, लेकिन आरोप लग रहे कि इस प्रक्रिया में किसी तरह के मानक का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. पता चला है कि सर्वे के दौरान सरकारी जमीन पर बने कई मकानों को भी यूनिक नंबर दे दिया गया है.
यही नहीं, फल्गु नदी के दायरे में बने कई मकानों को भी यूनिक नंबर जारी कर दिये गये हैं. यहां बता दें कि हाइकोर्ट ने 2015 में एक जनहित याचिका की सुनाई करते हुए फल्गु के किनारे बने मकानों को तोड़ने का आदेश दिया था, लेकिन इसकी परवाह किये बगैर ऐसे कई मकानों को यूनिक नंबर दे दिया गया, जिन्हें दो साल पहले कोर्ट ने तोड़ने का आदेश दिया था.
इधर, सर्वे कंपनी के प्रतिनिधि का कहना है कि विभाग ने निगम क्षेत्र में बने मकानों को यूनिक नंबर जेनरेट करने का आदेश दिया है. सूत्रों के अनुसार, पहाड़ व नदी में बने मकानों से पहले भी निगम कर्मचारियों की मिलीभगत से होल्डिंग रसीद कटते आये हैं. इसी रसीद को आधार बना कर यहां बसे लोग सारी सुविधाओं की मांग भी करते हैं, जबकि कई जगहों पर कब्जा कर बनाये गये मकान प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गये हैं.
क्या कहना है सर्वे के प्रतिनिधि का : मैप माई इंडिया के प्रतिनिधि तनुज सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा निगम क्षेत्र में बने सभी मकानों का यूनिक नंबर जेनेरेट करने का निर्देश दिया गया है. यूनिक नंबर के माध्यम से सभी वैध-अवैध होल्डिंग की पहचान करने में आसानी होगी. निगम क्षेत्र में पड़नेवाली एग्रीकल्चर जमीन, खाली जमीन, दुकान, मॉल इसके साथ ही किरायेदार का भी अलग यूनिक नंबर जेनेरेट करना है. सभी 53 वार्डों में सर्वे का काम पूरा हो गया है.
बढ़ेंगे होल्डर्स : सर्वे कंपनी ‘मैप माई इंडिया’ के प्रतिनिधि ने दावा किया है कि निगम का होल्डिंग टैक्स दोगुना हो सकता है. निगम में पहले से लगभग 65 हजार होल्डिंग से एक वर्ष में आठ करोड़ रुपये की टैक्स वसूली की जाती है. सर्वे का काम पूरा होने के बाद सभी तरह के होल्डिंग मिला कर 65 हजार से बढ़ कर एक लाख पहुंच गये हैं. जानकारी के अनुसार, यूनिक नंबर के सहारे अपने प्लॉट व मकान के बारे में किसी तरह की जानकारी लोग निगम की वेबसाइट से ले सकते हैं.
होल्डिंग सर्वे के बाद यहां कई वार्डों में यूनिक नंबर प्लेट लगाने का काम भी पूरा कर लिया गया है. जिन वार्डों में प्लेट लगाने का काम बचा है वहां जोर-शोर से लगाये भी जा रहे हैं. निगम के अधिकारी अब तक यह विश्वास कर रहे हैं कि सब कुछ होने के बाद निगम में टैक्स चसूली दोगुनी हो जायेगी. सूत्रों का कहना है कि निगम तत्काल के होल्डिंग से भी अब तक पूरी वसूली नहीं कर पाता है. कई होल्डिंग से वर्षों से टैक्स नहीं मिल पाया है.