गया : जम्मू-कश्मीर में आतंकी सेना में भरती के लिए युवाओं को मना करते हैं, पर भारी जोश के साथ युवा देश की सीमा की सुरक्षा की खातिर भरती हाेने आते हैं. सेना में युवाआें की भरती के लिए हमेशा बहाली हाेती है, अफसर बनने के लिए टैलेंटेड (प्रतिभावान) यूथ की खाेज हाेती है.
इसलिए शस्त्र उठाना है, ताे युवा देश की रक्षा के लिए उठाएं.
ये बातें गया शहर स्थित अॉफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (आेटीए) में बुधवार को कमांडेंट अवार्ड सेरेमनी के बाद पत्रकारों से आेटीए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल रजनीकांत जग्गा ने कहीं. इससे पहले बाेधिसत्व हॉल में पासआउट हाेनेवाले विभिन्न क्षेत्राें में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले कैडेटों को पुरस्कृत किया. आेटीए की आेर से इस बार 97 कैडेट आर्मी अफसर बन कर शनिवार को देश को समर्पित किये जायेंगे. इनमें 33 कैडेट्स स्पेशल कमीशन अफसर (एससीआे) व 64 टेक्निकल इंट्री स्कीम (टीइएस) की ट्रेनिंग प्राप्त कर आर्मी इंजीनियर हाेकर पासआउट हाे रहे हैं.
कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल जग्गा ने कहा कि आतंकवाद, नक्सल व अपराध के लिए बंदूक उठानेवाले युवा एक बार जरूर साेचें कि वे नुकसान किसका कर रहे हैं. देश, समाज व व्यक्ति की भलाई किसके साथ है. देश के साथ या आततायी संगठन के साथ जाने में. आतंकवाद, नक्सलवाद, अपराध काे दूर करने में व्यस्त सरकार काे काम करने का माैका नहीं मिलेगा, ताे विधि-व्यवस्था नहीं सुधरेगी. विधि-व्यवस्था नहीं सुधरी, ताे देश आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं हाेगा. ऐसे में विकास नहीं हाे पायेगा. समाज व देश की सुरक्षा व देश काे समृद्धि दिलाने की जिम्मेवारी हरेक युवा के कंधे पर है. अपनी शक्ति व साेच काे गलत दिशा में न लगाएं.
कैडेटों को बतायी जा रही नयी तकनीक. उन्हाेंने बताया कि आगामी 10 जून काे आेटीए की 11वीं पासिंग आउट परेड व पिपिंग सेरेमनी है. इससे पहले नाै जून की शाम मल्टी एक्टिविटी डिसप्ले (मैड) हाेगा. इन समाराेहाें में मुख्य अतिथि सेना के पश्चिमी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंदर सिंह(अति विशिष्ट सेवा मेडल एंड बार, विशिष्ट सेवा मेडल) हाेंगे. सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र विजेता रिटायर्ड सूबेदार मेजर एवं अॉनरेरी(मानद) कैप्टन बाना सिंह पासिंग आउट परेड के गवाह बनेंगे.
कमांडेंट ने कहा कि हर पासिंग आउट परेड अपने में खास हाेती है. हर साल नयी तकनीक व नये तरीके से युद्ध काैशल सिखाये जाते हैं. चूंकि अब दुश्मनाें का वार नये व अत्याधुनिक शस्त्र, साइबर के माध्यम से किये जा रहे हैं. ऐसे में हम अपनी फाैज को भी नये तकनीक से युद्ध काैशल का प्रशिक्षण देते हैं. उन्हाेंने कहा कि वार दाे तरीके के हाेते हैं. यह कैडेट्स काे जानकारी दी जा रही है. कन्वेंशनल वार, जाे सीमा पर हाेता है. जैसे 1965 व 1971 में हुआ था. आजकल अनकन्वेंशनल वार किये जा रहे हैं. इसलिए कैडेट काे हर तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है. नये-नये टेक्नाेलॉजी की जानकारी दी जा रही है.
फौज की क्षमता देश के लिए. उन्होंने कहा कि जाे हमारी फाैज काे जरूरत है, वह सरकार हमें मुहैया कराती है. जैसे-जैसे टेक्नाेलॉजी बढ़ती है, देश की अर्थव्यवस्था व हमारी जरूरत के हिसाब से हमें वह सुविधा सरकार मुहैया कराती रहती है. फाैज की क्षमता को सरकार अपनी अर्थव्यवस्था व फॉरेन पॉलिसी के हिसाब से देश की इज्जत व नाम को ऊंचा रखने के लिए यूज करती है. यह सरकार की पॉलिसी पर निर्भर करता है कि कब किसका इस्तेमाल किया जाये.
कमांडेंट ने गया आेटीए में कैडेट की ट्रेनिंग क्षमता बढ़ाने के सवाल पर कहा कि आेटीए से पहले जल यह एएससी सेंटर था, तब भी केएलपी (की लाेकेशन प्लान) के तहत डेवलप वर्क कराये जा रहे थे, पर छह साल पहले जब आेटीए आया, ताे संसाधन व कंस्ट्रक्शन के कामकाज काे विस्तारित कर याेजना मद आैर बढ़ाने के लिए सरकार के पास भेजा गया. काफी दिन तक मंत्रालय में अटका रहा. अनुमाेदन कर सरकार के पास भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही काम शुरू हाेगा, तब आेटीए की ट्रेनिंग क्षमता 750 काे पूरा किया जा सकेगा. फिलहाल तीन साै से साढ़े तीन साै की क्षमता रहते हुए चार साै कैडेटों को ट्रेनिंग दी जा रही है.
आेटीए में कमांडेंट अवार्ड सेरेमनी में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले कैडेट पुरस्कृत शनिवार को होंगे पासआउट
11वीं पासिंग आउट परेड व मैड के मुख्य अतिथि होंगे पश्चिम कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंदर सिंह
सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र विजेता रिटायर्ड सूबेदार मेजर बाना सिंह भी परेड में करेंगे शिरकत
कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल रजनीकांत जग्गा बाेले-शस्त्र उठाना है, तो देश की रक्षा के लिए उठाएं युवा