गौड़ाबौराम. गोड़ामानसिंह उच्च विद्यालय के लिए आवंटित जमीन पर बने बालिका छात्रावास भवन बिना किसी उपयोग के जर्जर होता जा रहा है. उचित देखरेख के अभाव में परिसर में जंगली घास उग आये हैं. भवन की दीवारें कई हिस्सों में टूटने लगी है. खिड़की, दरवाजे टूट गये हैं. बालिका कल्याण के लिए बना यह भवन सुनसान पड़ा हुआ है. जानकारी के अनुसार चार साल पूर्व शिक्षा विभाग के आदेश पर बिहार सरकार शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम के माध्यम से करीब 82 लाख की लागत से इस छात्रावास भवन का निर्माण कार्य पूरा हुआ था. अब यह असामाजिक तत्वों व मवेशियों के ठहरने का स्थान बन चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय उदासीनता के कारण यह स्थिति बनी हुई है. निर्माण के चार साल बाद भी छात्रावास तक जाने के लिए सड़क तो दूर, एक पगडंडी भी नहीं है. आमलोगों को यह भी नहीं पता कि इसका संचालन किस विभाग से किया जाना है. मुखिया माला देवी ने बताया कि पीछे विद्यालय की जमीन है, परंतु मुख्य सड़क के ठीक बगल में एक निजी जमीन है. पंचायत स्तर से चाहते हुए भी छात्रावास तक जाने के लिए पगडंडी भी उपलब्ध नहीं है. सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार झा का कहना है कि यहां हमेशा जल-जमाव रहता है. विभाग की ओर से इस स्थान का चयन छात्रावास के लिये कैसे किया गया, यह सोचनीय है. इस संबंध में बीइओ से जब पूछा गया तो उन्होंने अपने वरीय अधिकारी डीइओ से बात करने को कहा. जब उस नंबर पर बात की गयी तो कोई परवेज नामक आदमी ने फोन रिसीव किया और कहा कि सर अभी छुट्टी पर हैं. वहीं समग्र शिक्षा अभियान के डीपीओ रवि कुमार ने बताया कि यह शिक्षा विभाग से नहीं, बल्कि समाज कल्याण विभाग का मामला है. शिक्षा विभाग के तहत केवल कस्तूरबा गांधी का आवासीय छात्रावास आता है.
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