10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पापा-मम्मी की लाड़ली अंजली व अर्पिता छोड़ गयीं दुनिया

बहादुरपुर/दरभंगा : कुशोथर पंचायत के डगहर टोल निवासी अशोक कामती व उषा देवी को शादी के करीब पांच साल बाद पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी. ढाई साल बाद दूसरी पुत्री हुई. दोनों बार ऑपरेशन कर बच्चे को जन्म दिया गया. दोनों बच्चियां मां-पिता की आंखों के तारे थे. 15 दिन पूर्व उषा देवी पुत्रियों […]

बहादुरपुर/दरभंगा : कुशोथर पंचायत के डगहर टोल निवासी अशोक कामती व उषा देवी को शादी के करीब पांच साल बाद पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी. ढाई साल बाद दूसरी पुत्री हुई. दोनों बार ऑपरेशन कर बच्चे को जन्म दिया गया. दोनों बच्चियां मां-पिता की आंखों के तारे थे. 15 दिन पूर्व उषा देवी पुत्रियों को लेकर पिता बिल्टू कामती के यहां पटना गयी थी. शनिवार की शाम पतंगबाजी देख कर दियारा से लौटते समय दोनों बच्चियां चार वर्षीया अंजली कुमारी तथा डेढ़ साल की अर्पिता कुमारी के साथ उसकी मामी आरती देवी और मामी की बच्ची लाडो की मौत नाव हादसे में हो गयी. रविवार की सुबह दोनों की लाश मिल गयी. पटना में ही दोनों का दाह संस्कार कर दिया गया है. गांव में मातम पसरा है.

सूनी हो गयी उषा की गोद : आसमान में लहराते पतंग की तरह अशोक कामति व उषा के सपने परवाज भर रहे थे. अपनी दो मासूम बेटियों के सहारे जीवन की गाड़ी खुशी-खुशी दोनों आगे बढ़ा रहे थे. शादी के पांच साल तक सूनी आंगन में जब अंजली की किलकारी गूंजी तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. लेकिन विधाता को यह खुशी अधिक दिनों तक रास नहीं आयी. एक झटके में पतंग की तरह उनकी खुशी की डोर टूट गयी. रेत के घरौंदे की तरह सपने बिखर गये.

खुशी के चादर में लिपटे परिवार पर गम का चादर फैल गया. जिसके सहारे अशोक व उषा ने जिंदगी की उड़ान भरने के ख्वाब संजो रखे थे, उसकी डोर बीच में ही कट गयी. पूरे गांव में मातम पसर गया.

बड़े उत्साह के साथ पटना स्थित लॉ कॉलेज में कार्यरत अपने पिता बिल्टू कामति के घर त्योहार मनाने करीब एक पखवाड़ा पहले उषा अपनी दो बेटी चार वर्षीय अंजली व डेढ़ साल की दुधमुंही अर्पिता को लेकर उषा गयी थी. जीवन की अंतिम घड़ी में सेवा का वचन इन नामसमझ बच्चियों को तिल-गुड़ का प्रसाद देकर उषा ने लिया. इसी भरोसे के साथ पतंगबाजी का मजा लेने गंगा दीयारा गयी थी. दोनों बच्ची भी अपनी मां के साथ थी. एनआइटी घाट लौटने के क्रम में अचानक नाव डूब गया. इसके साथ ही उषा के सपने भी जमींदोज हो गये. रविवार को दोनों बच्चियों के शव पानी से बाहर निकाले गये. उषा की उम्मीद सामने निष्प्राण पड़े थे. सपने दम तोड़ चुके थे. उसकी गोद सूनी हो चुकी थी. खुशियों का घरौंदा बिखर चुका था.

प्रखंड क्षेत्र के फेकला ओपी क्षेत्र के कुशोथर पंचायत के डगहर टोल में शादी के पांच साल बाद जब अशोक की पत्नी ने लक्ष्मी रूपी बेटी को जन्म दिया तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. उषा की उदास गोद में खुशियों का सौगात लेकर अंजली आयी. इसके बाद अर्पिता ने इस खुशी को दोगुणा कर दिया. दंपती इसी दो फूल के सहारे जिंदगी गुजारने के सपने बुन लिए. अशोक ने बेटी की अंधी चाह से पल्ला झाड़ते हुए पत्नी उषा का ऑपरेशन करा दिया. दंपती अपने छोटे तथा आदर्श परिवार से संतुष्ट थे. अभी अर्पिता ने दूसार वसंत भी नहीं देखा था कि काल के एक झोंके ने उसे अपना ग्रास बना लिया. मां की गोद सूनी कर गयी.

इन्हीं दो बच्चियों की जिंदगी संवारने के लिए पिछले छह महीने पहले अशोक दिल्ली चला गया. सुबह में त्योहार के खुशी भरे संदेश मिले अभी चंद घंटे ही बीते थे कि हादसे की खबर ने उसके पांव के नीचे की जमीन खींच ली. वह आनन-फानन में घर के लिए निकल पड़ा. इस हादसे से आहत दादा महेश कामति व दादी लखनी देवी की मानों जान ही निकल गयी. दोनों अनचाही यात्रा पर पटना के लिए निकल गये. अपनी दो प्यारी भतीजियों के दुलारे चाचा सरोज के गम को गुस्सा में बदल दिया है. वे इसे विधि का विधान मानने की जगह सरकार की लापरवाही मानते हैं. उनका कहना है कि एक ही जगह-जगह बार-बार दुर्घटना होने के बावजूद सरकार सोयी पड़ी है. अरे सरकार का क्या जाता है, उजड़ते हैं तो हम सरीखे बदनसीब परिवार.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें