दरभंगा : डीएमसीएच के डॉक्टरों ने बुधवार को ऑपरेशन करके 15 किलो का ट्यूमर निकालकर एक मरीज की जान बचायी. सर्जरी विभाग के डॉ बिजेंद्र मिश्र के नेतृत्व में मोती राम 60 का सफल ऑपरेशन किया गया.
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मरीज के पेट से निकाला 15 किलो का ट्यूमर
दरभंगा : डीएमसीएच के डॉक्टरों ने बुधवार को ऑपरेशन करके 15 किलो का ट्यूमर निकालकर एक मरीज की जान बचायी. सर्जरी विभाग के डॉ बिजेंद्र मिश्र के नेतृत्व में मोती राम 60 का सफल ऑपरेशन किया गया. मरीज अब स्वस्थ है. एक लाख में एक मरीज इस तरह के रोग से ग्रसित होते हैं. ऑपरेशन […]
मरीज अब स्वस्थ है. एक लाख में एक मरीज इस तरह के रोग से ग्रसित होते हैं. ऑपरेशन डॉ जीसी कर्ण के यूनिट में हुआ.
डेढ़ घंटे तक चला ऑपरेशन
यूनिट इंचार्ज डॉ जीसी कर्ण की उपस्थिति में लेप्रोस्कोपी सर्जन डॉ बिजेंद्र मिश्र ने मोती राम के पेट से 15 किलो का रेट्रोपेरिटोनियल ट्यूमर निकाला. ट्यूमर को निकालने के लिए मरीज का ऑपरेशन डेढ़ घंटा चला. इस मौके पर अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर भी उपस्थित थे. इतने वजन का ट्यूमर निकालने का क्षेत्र की पहली घटना है.
चैलेंज को स्वीकार किया: मरीज की जान जोखिम में थी. कई निजी नर्सिंग होम ने मरीज को टरका दिया. मरीज के परिजन पटना जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. अंतत: डीएमसीएच के डॉक्टरों पर भरोसा किया गया. मरीज को यहां भर्ती कराया गया. कई डॉक्टरों ने रेफर की सलाह दी, लेकिन वरीय डॉक्टरों ने ऑपरेशन को चैलेंज के रूप में लिया. ऑपरेशन होते ही डॉक्टरों और परिजनों के चेहरे खिल उठे.
ट्यूमर को भेजा टिस्टोपैथोलॉजी
मरीज के पेट से निकाला गया 15 किलो के टिस्टोपैथोलॉजी विभाग में भेजा गया है. पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टर इस ट्यूमर की जांच करेंगे कि आखिर इसके बढ़ने का कारण क्या था.
20 साल बाद िमला ऐसा मरीज : डॉ बिजेंद्र मिश्र ने बताया कि ऐसा मरीज एक लाख में एक निकलता है. 20 साल के कार्यकाल में इस तरह का पहला मरीज उन्हें मिला है.
मरीज को यह थी परेशानी: मधुबनी जिला के रहिला के सतलखा टोल निवासी स्व. जीवछ राम के पुत्र को कई सालों से पेट में परेशानी थी. मरीज को चलने, खाना खाले या खांसने पर पेट में गोला महसूस होता था. मरीज की परेशानी बढ़ती गयी. जब जान पर आफत आई. तब इलाज के लिए दौड़-धूप शुरु हुई.
डॉक्टरों की बनी टीम: टीम में यूनिट इंचार्ज डॉ जीसी कर्ण, डॉ बिजेंद्र मिश्र, डॉ बीपी जायसवाल, डॉ राकेश, डॉ सुवेश, डॉ अकरम, डॉ पल्लवी और डॉ गौरव शामिल थे. टीम अपनी सफलता को लेकर खुश नजर आयी.
मरीज के पेट से निकाले गये ट्यूमर को दिखाते डॉक्टर.
मोती राम की बची जान परिजन के खिले चेहरे
एक लाख में मिलता है ऐसा एक मरीज
निजी नर्सिंग होम ने भगाया डीएमसीएच ने दिया सहारा
यह केस रेयर है. कई निजी नर्सिंग होम ने इस केस को स्वीकार नहीं किया था. मरीज गरीब था. जोखिम भरा केस होने के बावजूद उनलोगों ने हिम्मत जुटाई और मरीज का सफल ऑपरेशन हुआ.
डॉ बिजेंद्र मिश्र
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