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वन-वे ट्रैफिक पर सिस्टम की मार

कैसे हो पालन. वन-वे में फर्राटे से दौड़ती हैं प्रशासनिक अिधकािरयों की गाड़ियां आम से ज्यादा खास लोग तोड़ रहे नियम दरभंगा : दो भागों में बंटे शहर मुख्यालय के एक भाग से दूसरे भाग जाना चुनौती भरा काम हो गया है. महज पांच से सात किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को डेढ़ […]

कैसे हो पालन. वन-वे में फर्राटे से दौड़ती हैं प्रशासनिक अिधकािरयों की गाड़ियां

आम से ज्यादा खास लोग तोड़ रहे नियम
दरभंगा : दो भागों में बंटे शहर मुख्यालय के एक भाग से दूसरे भाग जाना चुनौती भरा काम हो गया है. महज पांच से सात किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को डेढ़ से दो घंटे तक लग जाते हैं. ऐसा तब हो रहा है, जब शहर में वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था बहाल है. दरअसल वन-वे ट्रैफिक सिस्टम पर खुद सिस्टम की ही मार पड़ रही है. आमजन से कहीं अधिक खास इस नियम को तोड़ रहे हैं. इसमें जिला प्रशासन के अधिकारी कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे हैं.
तीन पथ, फिर भी समस्या
प्रमंडलीय मुख्यालय के शहरवासियों की सबसे बड़ी समस्या सड़क जाम की है. बेला मोड़ से लहेरियासराय तक जाने के लिए कहने के लिए तो तीन मुख्य सड़क है, बावजूद जाम की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. वीआइपी तथा दरभंगा-लहेरियासराय मुख्य पथ व एलएन मिश्र पथ दोनों शहरों को जोड़ती है. प्रशासन ने जाम की समस्या को देखते हुए वीआइपी सड़क तथा दरभंगा-लहेरियासराय मुख्य पथ पर वन-वे नियम लागू कर दिया. इसके अतिरिक्त भारी वाहनों के प्रवेश पर नो इंट्री लगा दी. बावजूद समस्या बढ़ती ही जा रही है.
सात किमी दूरी तय करने में लग जाते डेढ़ घंटे
बेंता चौक पर वन-वे में घुसी बोलेरो.
थाना को मिला अतिरिक्त अधिकार : सरकार ने नये व्यवस्था के तहत नियम भी बदल दिये हैं. पहले शहरी थाना को जुर्माने की राशि काटने के लिए सरकार से अनुमति लेना पड़ता था. सरकार द्वारा यह अनुमति छह माह के लिए दिया जाता था. अब स्थायी रूप से सरकार ने एएसपी स्तर से लेकर थानाध्यक्ष तक को यह अधिकार दे दिया है. वन-वे उल्लंधन करने पर कोई भी थानाध्यक्ष जुर्माने की राशि को काट सकता है. इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होगी.
लोगोें को सजग रहने की जरूरत
एएसपी रामाशंकर राय ने कहा कि कभी-कभी पुलिस के साथ मजबूरी भी हो जाती है. उन्होंने कहा कि कोई घटना या दुर्घटना कहीं हो जाय तो मजबूरन पुलिस को उस रास्ते में जाना पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि आम जनता को भी सजग रहने की जरूरत है. आम जनता अगर पुलिस या प्रशासन के साथ कदम मिलाकर चले तो जाम की समस्या ही नहीं होगी.
जिलाधिकारी व एसएसपी करते थे नियम पालन
सड़क जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए तत्कालीन एसएसपी विकास वैभव तथा डीएम आर लक्ष्मणन ने वन-वे ट्रैफिक को सख्ती से लागू किया था. उस समय की सख्ती का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि दो एडीएम तथा एक डीएसपी तक को वन-वे नियम तोड़ने के आरोप में जुर्माना भरना पड़ा था. आइजी से लेकर एसएसपी तक सभी आलाधिकारी इस नियम का पालन करते थे. चिकित्सक तक इस नियम के तहत चला करते थे. इसीके लिए बेंता के कई चिकित्सक उस समय डीएम व एसएसपी से मिलकर छूट देने का अनुरोध भी किया था, लेकिन पदाधिकारियों ने आमहित में इस मांग को ठुकरा दिया
करनी पड़ती है मशक्कत
ट्रैफिक इंचार्ज कृष्णा प्रसाद का कहना है कि सबसे ज्यादा तो उन्हें ही मशक्कत करनी पड़ती है. कहते हैं कि कई पदाधिकारियों की गाड़ी उल्टे रास्ते आता है लेकिन मैं उन्हें कैसे रोक सकता. इस तरह का कोई आदेश प्राप्त नहीं है.
दूरुस्त होगी व्यवस्था
एसडीपीओ दिलनवाज अहमद ने कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए जिले के तमाम अधिकारी प्रयासरत हैं. जल्द ही और भी बेहतर बनाया जायेगा.
नियम की धज्जी उड़ा रही प्रशासनिक गाड़ियां: स्थित बदल गयी है. बीडीओ, सीओ के अतिरिक्त थानों की गाड़ियां इस तरह वन-वे में घुसी नजर आती है मानो उनके लिए यह नियम हो ही नहीं. जिस रास्ते में मन होता है, उल्टे पांव आ जाती है. इस कारण चौक-चौराहों पर जाम लग जाता है. लोगों का कहना है कि इससे बेहतर स्थिति तो तब थी जब वन-वे सिस्टम लागू नहीं था.

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