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मानस वर्मा का सपना हुआ साकार

तेजस बनाने वाली टीम में मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर थे दरभंगा के वैज्ञानिक दरभंगा : बेंगलुरू में तेजस ने उड़ान भरी, तो दरभंगा के डॉ मानस बिहारी वर्मा की आंखों में चमक दिखी. उनका पुराना सपना साकार जो हो उठा था. जिस फाइटर जेट तेजस विमान का सपना उन्होंने वर्षों पहले बुना था, शुक्रवार को वह […]

तेजस बनाने वाली टीम में मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर थे दरभंगा के वैज्ञानिक
दरभंगा : बेंगलुरू में तेजस ने उड़ान भरी, तो दरभंगा के डॉ मानस बिहारी वर्मा की आंखों में चमक दिखी. उनका पुराना सपना साकार जो हो उठा था. जिस फाइटर जेट तेजस विमान का सपना उन्होंने वर्षों पहले बुना था, शुक्रवार को वह साकार हो गया. तेजस भारतीय वायु सेना की ताकत बन कर देश की रक्षा के लिए बेड़े में शामिल हो गया.
मशहूर वैज्ञानिक डॉ वर्मा इस ऐतिहासिक पल के गवाह तो नहीं बन सके, लेकिन खुशी के इस क्षण को हजारों मिल दूर रह कर भी उन्होंने महसूस किया. टेलीविजनों पर यह खबर उनकी आंखों के सामने इसकी गवाही दे रही थी कि उनके द्वारा बोया गया बीज आज पेड़ बनकर देश को ताकतवर बनाने में अग्रणी भूमिका में खड़ा हो गया है. मानस बिहारी वर्मा दरभंगा जिला के घनश्यामपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बाउर गांव निवासी हैं. इसी गांव की भावना कंठ पिछले दिनों जेट विमान उड़ाने वाली महिला पायलट में शामिल हुई हैं.
मशहूर वैज्ञानिक तथा पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के अभिन्न मित्र रहे डा. वर्मा ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि 1986 में तेजस फाइटर जेट विमान बनाने के लिए टीम बनी थी. उस समय लगभग 700 इंजीनियर इस टीम में शामिल किये गये थे. डॉ वर्मा स्वयं इस टीम में बतौर मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर के रूप में अपना योगदान दे रहे थे. तेजस को वायु सेना में शामिल करने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि आज वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाला यह विमान डॉक्टर कलाम की सोच था. उन्होंने ही इसकी रूपरेखा तैयार की थी. 2005 में सेवानिवृत्ति से पूर्व तक उन्होंने इस प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.
समारोह में नहीं जा सके
बेंगलुरु में आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए उन्हें सरकार की ओर से आमंत्रण िमला था, पर वे निजी कारणों से नहीं जा सके. हालांकि उन्होंने अपनी शुभकामनाएं भेज दीं.
तेजस
वायु सेना की नयी ताकत
बेंगलुरु. देश में विकसित लड़ाकू विमान तेजस को आखिरकार 33 साल बाद भारतीय वायु सेना में शामिल कर लिया गया. दुनिया में गिनती के ही देश हैं, जो खुद लड़ाकू विमान बनाते हैं. हल्के वजन और बहुद्देश्यीय सुपरसोनिक सिंगल इंजन वाले विमान ने उड़ान भरी.
पहली स्क्वाड्रन को फ्लाइंग डैगर्स नाम दिया गया है. फिलहाल दो तेजस शामिल किये गये हैं और अगले साल मार्च तक छह और आ जायेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अद्वितीय गर्व व खुशी का मामला बताया है.

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