गुणवत्ता शिक्षा को प्रभावित कर रही शिक्षक की समस्याएं मनमानी पर उतर आयें हैं कार्यालय कर्मी कार्यालयों का चक्कर लगाने से कार्य होता है बाधितदरभंगा. विद्यालय शिक्षा में गुणवत्ता को शिक्षकों की समस्याएं भी प्रभावित कर रही है. जब हम समस्याओं में उलझे होते हैं तो अपना काम ठीक से नहीं कर पाते हैं. यही स्थिति प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों के साथ है. आये दिन ससमय वेतन भुगतान से लेकर वेतन निर्धारण प्रपत्र, भविष्य निधि कटौती, सेवा पुस्तिका सत्यापन, भविष्य निधि अग्रिम, रिपोर्ट तैयार करना, नियोजन संबंधी परिवाद, सेवानिवृति लाभ आदि को लेकर प्राय: शिक्षकों को प्रखंडों से लेकर जिला कार्यालय तक चक्कर लगाना पड़ता है. कुछ समस्याओं तो राज्यस्तरीय होते है यथा वेतन के लिए आवंटन का नहीं आना आदि किंतु अधिकांश ऐसी समस्याएं होती है जिसका समाधान जिला अथवा प्रखंड से संभव है. लेकिन कार्यालयों की ऐसी संस्कृति बनी हुई है कि जबतक उसपर पेपरवेट नहीं पड़ता फाइल आगे नहीं बढ़ पाता है. शिक्षक भी बार-बार दौड़ लगाने से लाचार होकर नतमस्तक हो जाते. उन्हें यह भी सताता रहता है कि उनके फाइलों में कहीं विपरीत टिप्पनियां दर्ज हो गये तो झुलते रह जायेंगे. शिक्षकों की इस मानसिकता कोू वर्षों से जमे कर्मी परख चुके हैं. जिसके कारण उन्हें पहले दो चार बार दौड़ाया जाता है उसके बाद शिक्षको की मजबूरी का लाभ उठाने के बाद सौदेबाजी पर उतर आने की बात कहीं जा रही है. अब तो ऐसी स्थिति हो गयी है कि एक ही टेबुल पर वर्षों से जमे कर्मी की मनमानी इतनी बढ़ गयी है कि क ोई शिक्षक अथवा शिक्षक नेता विरोध करते है तो उनके साथ दुर्व्यवहार के साथ केस मुकदमा पर उतर आते हैं. इनके दबंगई की हद इस बात से आंका जा सकता है कि गत 5 जनवरी को एक शिक्षक नेता को पेट्रॉल छिड़ककर आग लगाने की धमकी दे डाली. इसकी सूचना उन्होंने डीएम व एसपी को दी. इनका कसूर इतना था कि उक्त नेता शिक्षक हित के काम के बारे में पता करने गये थे. इतना ही नहीं जब यही शिक्षक नेता 12 जनवरी को दीठता प्रदर्शित कर स्थापना शाखा पहुंचे तो कई लिपिक कर्मियों ने इनके साथ दुर्व्यवहार कर भगा दिया. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि इनके आज्ञा एवं मनमाफिक लोग ही कार्यालय में प्रवेश कर सकते हैं. कमोवेश यही स्थिति शिक्षा विभाग के प्राय: सभी कार्यालय की है. इससे न केवल शिक्षकों का समय बरबाद होता है बल्कि शिक्षकों को एक काम के लिए बार बार स्कूल छोड़ने की मजबूरी बन जाती है. वर्त्तमान में शिक्षकेां को आवंटन के बावजूद वेतन नहीं मिलने से परिवार चलाने की समस्या वेतन निर्धारित प्रपत्र पर संशय, सेवा पुस्तिका अद्यतन में कठिनाई आदि समस्याओं से जुझना पड़ रहा है. जिसका अपरोक्ष रुप से असर गुणवत्ता शिक्षा पड़ रहा है. अधिकारी को भी बता रहे हैं कमजोरस्थापना कार्यालय में गलत आधार पर पुन: स्थापित कर्मियों को मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि वे अपने आवेदन में डीइओ व डीपीओ पर दबाव में निर्णय करने का हवाला दे रहे हैं. संघ के पैड का अपने बचाव में इस्तेमाल करनेवाले कर्मी ने तो हद पर करते हुए तात्कालीन डीपीओ पर ही दबाव में काम करने का आरोप मढ़ दिया है. वही अन्य कर्मर्यिों ने तीन कर्मियों के स्थानांतरण को वर्त्तमान डीइओ को दबाव में निर्णय लेने का उल्लेख किया है.
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गुणवत्ता शक्षिा को प्रभावित कर रही शक्षिक की समस्याएं
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