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जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहा विभाग

जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहा विभाग खुले आसमान के नीचे आेस चाट रहे अग्नि पीड़ित आपदा विभाग की लचर कार्य संस्कृति से पीड़ित हलकान फोटो संख्या- 17परिचय- अपने जले आशियाना के राख पर विलाप करती पीड़ित महिला.बेनीपुर. प्रशासनिक लचर व्यवस्था प्रखंड क्षेत्र के आपदा पीड़ितों के जख्म पर मरहम लगाने के बदले उसे और […]

जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहा विभाग खुले आसमान के नीचे आेस चाट रहे अग्नि पीड़ित आपदा विभाग की लचर कार्य संस्कृति से पीड़ित हलकान फोटो संख्या- 17परिचय- अपने जले आशियाना के राख पर विलाप करती पीड़ित महिला.बेनीपुर. प्रशासनिक लचर व्यवस्था प्रखंड क्षेत्र के आपदा पीड़ितों के जख्म पर मरहम लगाने के बदले उसे और कुरेद ही रहा है. जांच रिपोर्ट के नाम पर कई सप्ताह तक पीड़ित राहत के लिए टकटकी लगाये बैठे रह जाते हैं. इसका ताजा उदाहरण अगलगी में अपना सबकुछ गंवा चुके प्रखंड के हावीभौआर के शैलेंद्र कुमार चौधरी है. इनका विगत एक जानवरी की रात में अचानक आग लगने से सब कुछ जलकर राख हो गया. सिर से छत छिन गया. इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे समय बिताने को वे मजबूर हो गये हैं. पर अंचल प्रशासन तत्काल राहत देने के बजाय जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहा है. ऐसे और भी कई पीड़ित अभी तक मदद की राह ताक रहे हैं. यदि पिछली घटनाओं को आधार मानें तो निकट भविष्य में इनके जख्म पर प्रशासनिक मरहम लगता भी नजर नहीं आ रहा. घटना के तीन दिन बीत चुके हैं. जले घर की राख ठंडी पड़ चुकी है, पर पीड़ित परिवार के लोगों की पीड़ा की ज्वाला जस की तस धधक ही रही है. प्रशासनिक स्तर पर उसका परिणामादायी सुधि लेने वाला कोई नहीं दिख रहा है. अधिकारी की बात तो दूर कर्मी भी ऐसे पीड़ित के पास जाने की जहमत उठाना नहीं चाहते हैं. वैसे अधिकांश मामलों में अंचलाधिकारी हलका कर्मचारी को जांच का आदेश देकर अपने कर्त्तव्य का इतिश्री कर देते हैं. सूत्रों की मानें तो हलका कर्मचारी भी अपने किसी नजदीकी व्यक्ति को वहां भेज जांच की खानापूरी कर लेते हैं. वैसा ही परंपरा के अनुसार इन पीड़ितों के साथ भी हुआ. सीओ घटना की सूचना पर जांच का आदेश उसी पंचायत के हलका कर्मचारी अमोद सिंह को दिया गया. उन्होंने अपने एक सहायक को वहां भेज जांच की खानापूरी कर पीड़ित को बेनीपुर आने का फरमान जारी कर चले गये. पीड़ित शैलेंद्र चौधरी ने बताया कि वही व्यक्ति पुन: देर शाम चार हजार रुपये भी घर पर दे गये, पर वह किस मद का पैसा है उसकी जानकारी नहीं है. ऐसी स्थिति में न जाने अब यह जांच प्रक्रिया कब पूरा होगा ओर इन सिसकते परिवार को दो जून की रोटी का व्यवस्था कैसे और कब होगा. वैसे पीडि़त लोगों ने बताया कि पड़ोसियों द्वारा तीन दिनों से खाना दिया जा रहा है. यह हाल अग्नि पीड़ित एक ही परिवार का नहीं, प्रखंड के विभिन्न गांव के कई ऐसे परिवार हैं जो अंचल प्रशासन के जांच रिपोर्ट की बात जोह रहे हैं. विगत दस दिन पूर्व मकरमपुर गांव के जटाय साफी, एक सप्ताह पूर्व बैगनी के दिलीप साहु एवं रतन साहु का घर जला पर आज तक आपदा प्रबंधन से कोई सहायता नहीं मिल पायी है. इसके अलावा एक जनवरी को मकरमपुर के मो फूले का घर जला. सबके सब अंचल प्रशासन की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं. वैसे नियमानुसार आवासीय घर जलने पर तत्काल राहत के रूप में एक क्विंटल अनाज, एक पॉलीथीन एवं 58सौ नकद देने का प्रावधान है. इस संबंध में पूछने पर सीओ अल्पना कुमारी ने जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने की बात कहते हुए बताया कि तत्काल हावीभौआर के पीड़ित को चार हजार रुपये भेजवा दिया है. अनाज एवं शेष 1800 रुपये अगले दिन दिया जायेगा. पॉलीथीन मेरे पास उपलब्ध नहीं है. वहीं उन्होंने कहा कि आंशिक रूप से जले घर वालों को कोई सहायता का प्रावधान नहीं है. इससे पूर्व धेरूक के एक परिवार को सहायता दिया गया है और कितने मामले लंबित है, यह तो देखकर ही बताया जा सकता है.

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