\\\\टं३३ी१त्र/ू/रकेवटी में 136 एड्स पीडि़त, फिर भी जागरूकता नहीं लगातार बढ़ रही है एचआइवी पॉजीटिव मरीजों की संख्या इस वर्ष अबतक 22 रोगी चिह्नित 8 वर्षों में मिले कुल 136 रोगी 4 गांवों में मरीजों की संख्या ज्यादा (एड्स दिवस पर विशेष रिपोर्ट )प्रतिनिधि, केवटी : एड्स दिवस पर भी प्रखंड में जागरूकता कार्यक्रम नहीं आयोजित हुआ. मुख्यालय में विगत कई वर्षों से जागरूकता अभियान के लिए स्वास्थ्य प्रशासन कोई कार्यक्रम आयोजित करने में विफल रहा है. प्रखंड क्षेत्र एड्स के नजरिये से डेंजर जोन बनता जा रहा है. सिर्फ सरकारी आंकड़े से ही इसकी भयावहता स्पष्ट हो रही है. चालू वर्ष मेंं अबतक 22 मरीजों की पहचान हो चुकी है, जबकि 4 माह अप्रैल से जुलाई तक जांच सुविधा कीट के अभाव में ठप थी. रोगी की संख्या उससे ज्यादा होने की आशंका है. कई रोगी निजी नर्सिंग होम में इलाज करा रहे हैं. स्थिति विस्फोटक बनती जा रही है. समय रहते प्रखंडवासियों को जागरूक नहीं किया तो कई मौत को आमंत्रण दे सकती है. स्थानीय सामुदायिक चिकित्सा केंद्र में स्थित युवा क्लिनिक के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रभारी डॉ निर्मल कुमार लाल ने बताया कि वरीय पदाधिकारी को समस्या, जानकारी से अवगत कराया जा चुका है. विभाग द्वारा एड्स पर जागरूकता कार्यक्रम भी ठप है. जांच की सुविधा पीएचसी में वर्ष 2007 के दिसंबर माह से ही आइसीटीसी (समेकित परामर्श एवं जांच केंद्र) की सुविधा मिली हुई है. वहीं प्रसव कक्ष में एड्स पॉजिटिव मरीजों को सुरक्षित प्रसव कराने के लिए सेफ डिलेवरी कीट उपलब्ध है. अबतक कई महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया जा चुका है. वहीं सामुदायिक चिकित्सा केंद्र में प्रसव कराने पहुंचने वाली रोगी का एड्स की तुरंत जांच की सुविधा नहीं रहने से कमी से दहशत में रहकर ही जोखिम भरा कार्य करने में लगे रहते हैं. सौगात में लाते रोग प्रखंड क्षेत्र के परदेस कमाने वाले दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, गुजरात जैसे बड़े शहरों में जाकर सौगात में जानलेवा बीमारी लेकर लौटते हैं. खासकर छतवन, पैगम्बरपुर, काजीपट्टी, असराहा गांवों में मरीज ज्यादा है. एक खास समुदाय में रोगी ज्यादा मिलने से स्थिति गंभीर बनती जा रही है. इन चार गांवों की करीब 65 प्रतिशत आबादी के परिवार के लोग बाहर रहते हैं. परवरिश लाभ योजना विफल प्रखंड क्षेत्र में एड्स पीड़ितों की संख्या 136 बतायी जाती है. जबकि सरकार द्वारा ऐसे रोगी को मासिक सहायता राशि (पेंशन) परवरिश लाभ योजना के तहत दी जाती है. अब तक बाल विकास परियोजना कार्यालय में सिर्फ 15 आवेदन जमा कर स्वीकृति हेतु जिला भेजे गये. इसमें से एक भी रोगी को योजना का लाभ नहीं मिल सका. परामर्शी की समस्या युवा क्लिनिक (अर्श) के परामर्शी डॉ राजनारायण मिश्र ने बताया कि यौन रोग संक्रमित मरीजों को अवश्य जांच कराना चाहिए. सिफारिश (आरपीआर) रोग की भी जांच सुविधा उपलब्ध है. खासकर क्षय रोग (टीबी) गर्भवती महिला को अवश्य जांच करना चाहिए. समय रहते जांच होने पर गर्भ में पल रहे बच्चों को इस संक्रमण से बचाया जा सकता है. स्वास्थ्य प्रशासन उदासीन चार माह कीट के अभाव में एड्स की जांच ठप रहा है. वहीं विगत दो वर्षों से कंडोम का वितरण, जागरूकता कार्यक्रम, डिस्पोजल सीरिंज की आपूर्ति अर्श युवा क्लिनिक को ठप है. 3 कीट की जांच के उपरांत ही चिह्नित रोगी को आरटी सेंटर भेजा जाता है. चार माह अप्रैल से जुलाई तक जांच की सुविधा ठप होने से चिह्नित रोगी की संख्या में कमी देखी गयी. वर्ष चिह्नित पुरुष चिह्नित स्त्री कुल/इ2015(30 नवंबर तक) 13 9 222014 10 12 222013 11 10 212012 06 06 122011 10 05 152010 04 08 122009 06 05 112008 10 11 21
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