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75 प्रतिशत उपस्थित वाले छात्रों को ही फॉर्म भरने की इजाजत : वीसी

75 प्रतिशत उपस्थित वाले छात्रों को ही फॉर्म भरने की इजाजत : वीसी फोटो : परिचय : कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा सभी विभागों से मंगायी जायेगी उपस्थिति विवरणी शिक्षक भी छात्रों में जगायें पठन पाठन के प्रति रुचि दरभंगा . कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की वर्ग कक्ष में 75 प्रतिशत उपस्थिति को कड़ाई से […]

75 प्रतिशत उपस्थित वाले छात्रों को ही फॉर्म भरने की इजाजत : वीसी फोटो : परिचय : कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा सभी विभागों से मंगायी जायेगी उपस्थिति विवरणी शिक्षक भी छात्रों में जगायें पठन पाठन के प्रति रुचि दरभंगा . कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की वर्ग कक्ष में 75 प्रतिशत उपस्थिति को कड़ाई से पालन कराया जायेगा. जिन छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत पूरी नहीं होगी उन्हें परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की इजाजत किसी भी कीमत पर नहीं दी जायेगी. वे इस मामले में खूद गंभीर हैं. सभी विभागों से छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विवरणी को मंगायी जायेगी. वैसे छात्र-छात्राओं में पठन पाठन के प्रति रुचि जगाने के लिए शिक्षकों को भी प्रयास करना चाहिए. तभी यह संभव हो पायेगा. उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने कही. वे प्रभात खबर से रुबरु हो रहे थे. उन्होंने कहा कि कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की जो उपस्थिति है, वह काफी चिंता का विषय है. छात्र नियमित रुप से वर्ग में आयेंगे तभी वे ज्ञान हासिल कर सकेंगे. यह उनके भविष्य के लिए भी अच्छा होगा. कुलपति ने कहा कि इस दिशा में अभिभावकों को भी सहयोग करना होगा. सिर्फ अपने बेटे-बेटियों का कॉलेज में नामांकन करा देने भर से काम नहीं चलेगा. बल्कि उनका बेटे बेटियां नियमित रुप से कॉलेज या विश्वविद्यालय आकर क्लास कर रही है या नहीं, यह भी देखना चाहिए. छात्र-छात्राओं में रुचि पैदा करने की जरूरत है. यह काम शिक्षक एवं माता पिता दोनों को करना होगा. तभी यह जड़ता समाप्त होगी. कुलपति प्रो. कुशवाहा ने कहा कि परीक्षा में सिर्फ ज्यादा अंक लाने से बच्चे मेधावी नहीं होते. बल्कि उन्हें प्राप्तांक के अनुरूप अपने योग्यता भी साबित करनी होगी.ऐसा वे करते हैं तो प्रतियोगी परीक्षाओं में वे बेहतर कर सकते हैं. खासकर शिक्षकों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान की प्रगति के लिए यह जरुरी है कि लोग अपना व्यक्तिगत दायित्व समझें. जब सब अपने दायित्वों एवं कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने लगेंगे तो निश्चित रुप से संस्थान एवं संस्थान के लोगों का विकास होगा.

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