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सूर्य उपासना की तैयारी में जुटे श्रद्धालु

सूर्य उपासना की तैयारी में जुटे श्रद्धालु महाभारत काल से चली आ रही इस पर्व की परंपराकमतौल: दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज के बाद लोग आस्था के महापर्व छठ की तैयारी में जुट गए हैं. इसमें प्रात: काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ देकर नमन […]

सूर्य उपासना की तैयारी में जुटे श्रद्धालु महाभारत काल से चली आ रही इस पर्व की परंपराकमतौल: दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज के बाद लोग आस्था के महापर्व छठ की तैयारी में जुट गए हैं. इसमें प्रात: काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ देकर नमन करते हैं. सुख-समृद्धि तथा मनोकामनाओं की पूर्ति का यह त्योहार सभी समान रूप से मनाते हैं. आचार्य संजय कुमार चौधरी के अनुसार प्राचीन धार्मिक संदर्भ में छठ पूजा का आरंभ महाभारत काल से माना जाता है़ छठ मैया सूर्य देव की बहन हैं. उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है़ किसी भी पवित्र नदी या तालाब के किनारे पानी में खड़े होकर यह पूजा संपन्न की जाती है़छठ पूजा का आरंभ कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है तथा कार्तिक शुक्ल सप्तमी को इसका समापन होता है़ इसके अनुरूप इस बार 15 नवंबर को नहाय-खाय के साथ चार दिनी छठ पर्व की शुरुआत होगी़ 16 नवंबर को खरना होगा. दिनभर खरना का व्रत रखने वाले व्रती शाम के समय गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन प्रसाद रूप में करते हैं. 17 नवंबर षष्ठी को सांध्यकालीन और 18 नवंबर सप्तमी तिथि को प्रात:कालीन अर्घ के साथ इसका समापन होगा़ वैसे तो 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जायेगा, जिसमें लगातार 24 घंटे का निर्जला व्रत होगा. इसके बाद ही व्रती अन्न-जल ग्रहण करती हैं. चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व अत्यंत कठिन और महत्वपूर्ण महापर्व है़ मान्यता है कि भक्ति-भाव से किये गये इस व्रत से नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है़ धन-धान्य की भी प्राप्ति होती है.

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