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दिन में भी जलते हैं हाइमास्ट लाइट

ऊर्जा व राजस्व दोनों का हो रहा अपव्यय, बेपरवाह है नगर निगम दरभंगा : धानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा बचत मुहिम को मुंह चिढ़ा रहे हैं, शहर में जलते एज दर्जन हाईमास्ट लाइट. इन हाइमास्टों की टाइमिंग खराब रहने के कारण करीब एक दर्जन ऐसे लाइट रात की कौन कहे, दिनभर जलते रहते हैं. इससे […]

ऊर्जा व राजस्व दोनों का हो रहा अपव्यय, बेपरवाह है नगर निगम
दरभंगा : धानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा बचत मुहिम को मुंह चिढ़ा रहे हैं, शहर में जलते एज दर्जन हाईमास्ट लाइट. इन हाइमास्टों की टाइमिंग खराब रहने के कारण करीब एक दर्जन ऐसे लाइट रात की कौन कहे, दिनभर जलते रहते हैं. इससे ऊर्जा के साथ-साथ नगर निगम को लाखों रुपये मासिक राजस्व की क्षति हो रही है.
एक हाइमास्ट पर 3200 वाट का लोड
विभागीय सूत्रों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2010-11 में मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना के तहत शहर में 13 हाइमास्ट लाइटों की स्वीकृति मिली. सूत्रों के अनुसार हाइमास्ट लाइट में लगने वाले एक बल्ब का लोड 400 वाट का होता है. एक हाइमास्ट में कम से कम छह एवं अधिकतम 10 बल्ब लगाये जाते हैं. इसके मुताबिक एक हाइमास्ट पर कम से कम 2400 एवं अधिकतम 4 हजार वाट का लोड होता है. ऐसी स्थिति में यदि शाम छह से सुबह पांच बजे तक 2400 वाट का लोड 30 दिनों में रहने पर उसका विपत्र 65 से 75 हजार रुपये के करीब होता है.
शहर में जितने हाइमास्ट लगे हैं, उनमें दरभंगा टावर, नागेंद्र झा स्टेडियम, बाघमोड़, दोनार, किलाघाट, डीएमसीएच, कमला नेहरू लाइब्रेरी, नेहरू स्टेडियम के हाइमास्ट दिन में भी जलते रहते हैं. यह स्थिति तब है जब चार माह पूर्व मुजफ्फरपुर के एक एजेंसी के माध्यम से सभी हाइमास्ट लाइटों की मरम्मत करायी गयी थी तथा इसपर लगभग चार लाख रुपये व्यय भी किये गये थे.
नहीं दी गयी जिम्मेवारी
गत 28 फरवरी को हुई निगम बोर्ड की बैठक में विचारणीय विषय संख्या 10 के माध्यम से शहरी क्षेत्र में अधिष्ठापित हाइमास्ट लाइटों/स्ट्रीट लाइटों के रखरखाव के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति के अंतर्गत प्रस्ताव आमंत्रण के प्रारूप अनुमोदन पर विचार किया गया.
इसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि किसी प्राइवेट एजेंसी को इसकी जिम्मेवारी दी जाये तथा पांच वर्षो तक उसके रखरखाव की जिम्मेवारी भी उन्हें दी जाय. निगम बोर्ड में लिये गये निर्णय के आलोक में अबतक किसी सक्षम एजेंसी को यह जिम्मेवारी नहीं दी गयी है. जिसके कारण हो रहे ऊर्जा क्षति के बचाव की दिशा में निगम कुछ भी नहीं कर रहा है.
एलक्ष्डी लाइट की हो रही चहुंओर सराहना
डूडा से शहर में पिछले दो सप्ताह के अंदर लगाये गये आधा दर्जन सड़कों पर 400 एलक्ष्डी लाइटों की भरपूर सराहना की जा रही है. इस एलक्ष्डी लाइट से एक तरफ जहां ऊर्जा की पर्याप्त बचत हो रही है, वहीं इसकी दुधिया प्रकाश लोगों को काफी प्रभावित कर रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार एलक्ष्डी के एक लाइट पर मात्र 20 वाट का लोड है. ऐसी स्थिति में शहर में जो 400 एलक्ष्डी लाइट वर्तमान में लगाये गये हैं, उससे अधिक लोड केवल दरभंगा टावर पर लगे हाइमास्ट लाइट का है.
ज्ञात हो कि डूडा से शहर के दरभंगा टावर से किलाघाट, एलएन मिश्र पथ होते हुए बाकरगंज, लोहिया चौक से पंडासराय गुमटी, सुभाष चौक से खनकाह चौक, भगत सिंह चौक से सीएम साइंस कॉलेज, दरभंगा टावर से हसनचक होते हुए पॉलिटेक्निक चौक, कादिराबाद चौक से राम चौक, हसनचक से आयकर चौक होते हुए विद्यापति चौक तथा भगत सिंह चौक से मिर्जापुर चौक होते हुए स्टेशन रोड महावीर मंदिर तक 400 एलक्ष्डी लाइट लगाये गये हैं. इन लाइटों के दुधिया प्रकाश शहरवासियों को इतना प्रभावित कर रहा है कि अब लोग हाइमास्ट लाइटों को दिखावे का दांत मानने लगे हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
हाइमास्ट लाइटों के मेंटिनेंस के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति के तहत इसे निजी एजेंसी को देने का निर्णय निगम बोर्ड से ली गयी है. शीघ्र ही इसे किसी निजी एजेंसी के हवाले किया जायेगा ताकि नियमित रूप से इसकी देखभाल की जा सके और ऊर्जा का अपव्यय भी दिन में जलने से नहीं हो सके.
महेंद्र कुमार, नगर आयुक्त,
नगर निगम दरभंगा

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