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सात साल बाद भी एक्सप्रेस ट्रेन नहीं
बेनीपुर : ट्रेनों का परिचालन शुरु किये हुए सात साल हो गये हैं, परंतु अब तक एक भी एक्सप्रेस ट्रेन सकरी-बिरौल रेलखंड पर नहीं दिया गया है. इससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराये बगैर इस रेल खंड पर परिचालन शुरू क रवाने के बाद से न तो […]
बेनीपुर : ट्रेनों का परिचालन शुरु किये हुए सात साल हो गये हैं, परंतु अब तक एक भी एक्सप्रेस ट्रेन सकरी-बिरौल रेलखंड पर नहीं दिया गया है. इससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराये बगैर इस रेल खंड पर परिचालन शुरू क रवाने के बाद से न तो रेल विभाग और न ही जनप्रतिनिधियों ने ही इस ओर ध्यान दिया. हॉल्ट के नाम पर आंदोलन हो या आरक्षण केंद्र की सुविधा, सिर्फ यात्रियों की भावना को अपनी ओर खींचने का प्रयास भर चल रहा है.
यात्रियों की सुरक्षा को ले गंभीर नहीं है रेलवे
आज भी इस रेल खंड में दर्जनों समपार फाटक हैं जो सड़क से होकर गुजरती है. परंतु समपार पर न तो फाटक की व्यवस्था की गयी और न गेटमैन की ही तैनाती तक हो पायी है. जिससे हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भी रेलवे गंभीर नहीं है.
अब तक जीआरपी एवं आरपीएफ की तैनाती भी इस रेलखंड में नहीं की गयी है. ज्ञात हो की चार दिसंबर 2008 को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उक्त रेल खंड का उद्घाटन किया था. उद्घाटन के बाद से ही क्षेत्र के लोगों में इस बात की खुशी थी कि उन्हें अब सीधे दिल्ली, मुंबई से जुड़ने की बात सच साबित होगी. लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी लंबी दूरी की ट्रेन तो दूर एक भी हॉल्ट पर सामान्य यात्री सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है.
बुनियादी सुविधाएं भी नहीं
इसमें इस मार्ग के सबसे अति महत्वपूर्ण माने जानेवाले बेनीपुर-बलहा हॉल्ट जहां पानी, बिजली, शौचालय जैसे आवश्यक सुविधा तक उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. वैसे पेयजल के लिए तीन चापाकल की व्यवस्था है. अतिरिक्त रोशनी के लिए तीन ट्रॉसफॉर्मर के साथ दर्जन भर से अधिक वैपर लाइट, दो हाई मास्ट लाइट भी लगाये गये हैं. पर यह बंद पड़ा है. जिसके कारण शाम ढलते ही इस हॉल्ट से यात्रा करना यात्रा ियों के लिए खतरा से खाली नहीं रहता.
इतना ही नहीं करोड़ों रुपये खर्च से रेल कर्मचारियों के लिए बनाये गये आवास भी स्थानीय लोगों का आशियाना बना हुआ है. 36 किलोमीटर लंबे इस रेल खंड में 32 समपार फाटक विहीन हैं. जिसके कारण कई बार लोग दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं. फिर भी रेल प्रशासन इसके प्रति उदासीन है.
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