दरभंगा. रामकथा महायज्ञ के सातवें दिन प्रवचन करते हुए सुधीरजी महाराज ने कहा कि स्वार्थ का विष जब आंखों में आता है तो मनुष्य की पूरी दृष्टि ही बदल जाती है. राम के वनवास के बाद अयोध्या में मचे कोहराम पर कैकेयी व भरत संवाद के प्रसंग पर प्रवचन करते हुए उन्होंने यह बातें कही. उन्होंने कहा कि हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश सभी विधि के हाथ में होता है. मौके पर उन्होंने अरण्य कांड की चर्चा की. वहीं सुर्पनखा व सबरी के प्रसंग पर प्रवचन करते हुए कहा कि सुर्पनखा आशक्ति का परिचायक है तो सबरी भक्ति व समर्पण का. नीम पोखर धर्मशाला प्रांगण में चल रहे इस नौ दिनी आयोजन के सफल संचालन में मुख्य संरक्षक सुजित मल्लिक, नागेश्वर ठाकुर, पवन कुमार मंडल, ओम प्रकाश राय आदि जुटे हैं.
स्वार्थ का विष बदल देती दृष्टि
दरभंगा. रामकथा महायज्ञ के सातवें दिन प्रवचन करते हुए सुधीरजी महाराज ने कहा कि स्वार्थ का विष जब आंखों में आता है तो मनुष्य की पूरी दृष्टि ही बदल जाती है. राम के वनवास के बाद अयोध्या में मचे कोहराम पर कैकेयी व भरत संवाद के प्रसंग पर प्रवचन करते हुए उन्होंने यह बातें कही. […]
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