दरभंगा : दिल्ली में जंतर-मंतर पर पृथक मिथिला राज्य गठन की मांग को लेकर अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति की ओर से धरना दिया गया. इस दौरान मिथिला-मैथिली सेवी संस्थाओं, राजनीतिक दलों के नेताओं आदि से बिना किसी राग-द्वेष के पृथक मिथिला राज्य को पुनर्स्थापित करने के लिए एकजुट होने की अपील की गयी. संयोजक अमरेंद्र झा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को मिथिला के विकास की तनिक भी चिंता नहीं है.
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जंतर-मंतर पर दिया धरना
दरभंगा : दिल्ली में जंतर-मंतर पर पृथक मिथिला राज्य गठन की मांग को लेकर अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति की ओर से धरना दिया गया. इस दौरान मिथिला-मैथिली सेवी संस्थाओं, राजनीतिक दलों के नेताओं आदि से बिना किसी राग-द्वेष के पृथक मिथिला राज्य को पुनर्स्थापित करने के लिए एकजुट होने की अपील की गयी. […]
यही कारण है कि मिथिला लगातार दरिद्रता के गर्त में सिमटने को मजबूर है. पूर्व सांसद महाबल मिश्र ने कहा कि अपनी सांस्कृतिक संपन्नता के लिए संसार भर में विख्यात मिथिला सरकारी उपेक्षा के कारण लगातार आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार हो रहा है. कभी गांव-गांव में शिक्षा का केंद्र हुआ करता था, लेकिन आज छात्र पलायन को विवश हैं.
बाढ़ के निदान का भरोसा देकर सिर्फ और सिर्फ मिथिला को ठगा जाता रहा है. पूनम आजाद ने कहा कि इस क्षेत्र पर कभी बाढ़ तो कभी सूखा का कहर होता है. आंसू पोछने वाला कोई नहीं है. मिथिला के मजदूर पलायन को विवश हो रहे हैं. कार्यक्रम में विनीत झा, कमलेश झा, हीरालाल प्रधान, आरएन झा आदि ने भी विचार रखा. इसमें मैथिली को प्राथमिक शिक्षा का अनिवार्य माध्यम बनाए जाने, मैथिली के शिक्षकों की बहाली में कोताही बरते जाने आदि की बात कही गयी.
सभी समस्याओं के निदान के लिए पृथक मिथिला राज्य का पुनर्गठन आवश्यक बताया गया. बाद में अमरेंद्र कुमार झा एवं शिशिर कुमार झा के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल मांगों से संबंधित ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री को सौंपा. ज्ञापन में प्रमुख रुप से पृथक मिथिला राज्य गठन, मैथिली में माध्यमिक स्तर तक पढ़ाई, मिथिलाक्षर के उन्नयन के लिए लिए गठित कमिटी को कारगर बनाये जाने, एम्स, आइआइटी, आइआइएम, विमान सेवा और जनसंख्या अनुकूल रेलवे नेटवर्क स्थापित करने, दरभंगा में हाइकोर्ट के स्पेशल बेंच की स्थापना तथा मैथिली को बिहार में द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने आदि की मांग शामिल है.
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