नाला में छिड़काव के लिए वार्डवार दी गयी
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मच्छरों का बढ़ा प्रकोप, शाम ढलते ही शुरू हो जाता तांडव
नाला में छिड़काव के लिए वार्डवार दी गयी स्प्रे मशीन व दवा, नहीं हो रहा इस्तेमाल मच्छरों पर अगरबत्ती व स्प्रे का नहीं हो रहा कोई असर दरभंगा : गरमी की शुरुआत होते ही मच्छरों का आतंक बढ़ गया है. इसने शहरवासियों का जीना दूभर कर दिया है. स्थिति इतनी बदतर है कि बंद कमरे […]
स्प्रे मशीन व दवा, नहीं हो रहा इस्तेमाल
मच्छरों पर अगरबत्ती
व स्प्रे का नहीं हो
रहा कोई असर
दरभंगा : गरमी की शुरुआत होते ही मच्छरों का आतंक बढ़ गया है. इसने शहरवासियों का जीना दूभर कर दिया है. स्थिति इतनी बदतर है कि बंद कमरे में भी घड़ी देखकर 30 सेकेंड भी लोग शांति चित्त से नहीं बैठ पाते हैं. दिनभर तो अपेक्षाकृत इनका प्रकोप कम रहता है, लेकिन शाम ढलते ही इनका तांडव शुरू हो जाता है.
यहां तक कि लोगों को रात में भोजन का एक निवाला लेने में भी समस्या होती है. मच्छरों के आतंक से बचने के लिये लोग अपने स्तर से कीटनाशक का उपयोग करते हैं,
बावजूद राहत नहीं मिल पाती है. अब तो मच्छर अगरबत्ती व स्प्रे भी इन पर बेअसर हो रहे हैं. नजर हटी और दुर्घटना घटी वाली कहावत चरितार्थ न हो जाये इसके लिये लोग भोजन के समय खासी सर्तकता बरतनी पड़ती है. आश्चर्यजनक पहलु यह है कि इतनी विकट स्थिति होने के बावजूद नगर निगम सोया पड़ा है. न तो नालों की सफाई करवा रहा है और न ही मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को कम करने के लिये फागिंग ही करा रहा है.
बरसात व बाढ़ के बाद नगर के अधिकांश नालों की सफाई नहीं होने के कारण नाला जाम रहने से मच्छर के लार्वा पनपने से साल की शुरुआती गरमी में ही मच्छरों की संख्या में इजाफा हो गया है. वहीं नाला में मच्छर के लार्वा मारने को लेकर वार्डवार स्प्रे मशीन व कीटनाशक उपलब्ध कराने के बावजूद कुछ वार्ड को छोड़ अन्य वार्डों में छिड़काव नहीं किया गया है, लिहाजा लोग मच्छर का दंश झेलने के लिये मजबूर हैं.
पांच फागिंग में दो बेकार : नगर के लोगों को मच्छरों से निजात दिलाने के लिये पांच फागिंग मशीन हैं. इसमें तीन ही काम लायक हैं. वहीं स्टॉक में फागिंग की दवा की उपलब्धता की भी समस्या है. इधर फागिंग की कमी की मार झेल रहे निगम के द्वारा डेढ़ साल पहले विभाग के भेजे गये प्रस्ताव के बाद बीते साल 2017 के अगस्त माह में करीब छह लाख रुपये की लागत से दो नली वाली नयी फागिंग मशीन निगम को बुडको के माध्यम से उपलब्ध करवायी गयी थी.
स्प्रे मशीन व दवा का नहीं हुआ उपयोग : नाला में पनप रहे मच्छरों के लार्वा के मारने को लेकर निगम द्वारा वार्डवार नयी स्प्रे मशीन व आधा लीटर दवा उपलबध कराये जाने के बावजूद कुछ वार्डों को छोड़ उपयोग नहीं किये जाने से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि प्रति स्प्रे मशीन करीब 1600 रुपये व आधा लीटर कीटनाशक एक हजार रुपये की लागत से फरवरी माह में वार्डो को उपलब्ध करायी गयी है.
खुले नाले व गड्ढे बने कारण : शहर के अधिकांश नाले जाम पड़े हैं. नाले पर ढक्कन नहीं है. वहीं कई गड्ढों में पानी जमा है. वहीं सड़क किनारे जगह-जगह कचड़े की ढेर लगी है. ये सभी मच्छरों के कारखाना साबित हो रहे हैं. मालूम हो कि इसे तालाबों का शहर कहा जाता है. दर्जनों विशाल सरोवर हैं. इनमें से किसी की ससमय सफाई नहीं की जाती. इस वजह से भी यह परेशानी बढ़ी हुई है.
एक सप्ताह में वार्डवार होगी फॉगिंग
20 लीटर दवा आपूर्ति के लिये आदेश दिया गया है. एक सप्ताह के अंदर वार्डवार रोस्टर बनाकर फागिंग करायी जायेगी. नाला में भी कीटनाशक का छिड़काव कराया जायेगा.
नरोत्तम कुमार साम्राज्य, नगर प्रबंधक
शहर में चार महीने पहले हुई थी फॉगिंग
मच्छरों से निजात पाने को लेकर नगर निगम प्रशासन ने वार्डवार रोस्टर बनाकर नौ नवम्बर से 29 नवम्बर तक खरीदी गयी नयी मशीन से फागिंग करायी गयी थी. हालांकि फागिंग से मच्छरों के आतंक से लोगों को जितनी राहत मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल सकी.
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