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बाइपास पर बाढ़पीड़ित गढ़ रहे भविष्य का ताना-बाना

दरभंगा : बाढ़़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. शहर से सटे बहादुरपुर तथा हनुमाननगर प्रखंड के चांडी, रामपुर, मुस्तफापुर, भरौल, मोहम्मदपुर, धरनीपट्टी, श्रीरामपुर, कमलपुर आदि गांव में राहत शिविर तो दूर, हालचाल का पता लगाने के लिए भी कोई पदाधिकारी नहीं पहुंचे हैं. इन गांवों में बिजली आपूर्ति बंद है. शाम होते ही अंधेरा […]

दरभंगा : बाढ़़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. शहर से सटे बहादुरपुर तथा हनुमाननगर प्रखंड के चांडी, रामपुर, मुस्तफापुर, भरौल, मोहम्मदपुर, धरनीपट्टी, श्रीरामपुर, कमलपुर आदि गांव में राहत शिविर तो दूर, हालचाल का पता लगाने के लिए भी कोई पदाधिकारी नहीं पहुंचे हैं. इन गांवों में बिजली आपूर्ति बंद है. शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. पीड़ितों की सबसे बड़ी समस्या पेयजल एवं शौचालय की है. गर्भवती महिलाएं एवं नवजात बच्चे को लेकर विशेष परेशानी है. कई लोग घर के अगल-बगल ऊंचे स्थलों पर रतजगा कर सामान की रखवाली कर रहे हैं. अधिकांश लोगों का माल-मवेशी एवं अन्य समान अचानक आई बाढ़़ से बर्बाद हो चुका है. इन गांव के अधिकांश पीड़ितों ने बाइपास को ठिकाना बना लिया है.
चांडी गांव मजदूर बहुल इलाका है. यहां मो. आफताब मिलते हैं. बताया कि अहले सुबह एकाएक पानी घर में प्रवेश कर गया. संभलने तक का मौका नहीं मिला. घर में रखा सामान तक नहीं निकाल पाये. जान बचाकर बाईपास पर परिवार के साथ शरण ले लिया. अब तक प्रशासनिक पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि में से कोई हाल जानने नहीं पहुंचा है. मस्जिद में पानी घुस जाने के कारण इबादत में परेशानी हो रही है. परदेश से मजदूरी कर जो कुछ लाए थे, वह बाढ़़ के पानी में चला गया. खाने के लाले पड़े हैं. मदद करने को कोई तैयार नहीं है.
बाइपास पर परिजनों के साथ ठिकाना बना चुके मो. जहांगीर ने बताया कि पानी से बचाकर जो कुछ भी सामान लाये वह खुले में खराब हो रहा है. कोई सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं है. कई रोज से मजदूरी बंद है. घर का पिछला दीवाल पानी में गिर गया. सिलाई मशीन, बक्सा, बकरा, बकरी सब बर्वाद हो गया. सरफे आलम के घर-आंगन में पानी है. शौचालय एवं पेयजल सबसे बड़ी परेशानी है. कहते हैं कि किसी तरह गुजारा कर रहे हैं. शौकत अली के घर में भी पानी है. घर गिरने के करीब है.
बाइपास पर चौकी लगाकर शरण लिए हुए हैं. पन्नी तक का इंतजाम नहीं है. रूआसा होकर बताते हैं कि परिवार को छोड़ सारा समान बाढ़़ की चपेट में चला गया. मो. तनवीर का चार गाय पानी में बह गया. बकरा, बकरी, मुर्गा, कपड़ा एवं अनाज देखते ही देखते पानी में विलीन हो गया.
खाने के लाले पड़े हैं. मो. शाकिर कहते हैं कि एक मोमबत्ती तक का इंतजाम नहीं है. कोई भी कर्मचारी अथवा पदाधिकारी हालचाल जानने नहीं आया है. बरसात हो जाने से सड़क पर जीना मुश्किल हो जाता मो. अनवारुल, जियाउल, इसराफिल आदि कहता है कि रोज कमाने खाने वाले हैं. मजदूरी तक नहीं मिल रहा.
रमेश यादव, विनोद यादव, राम मिलन यादव, उमा शंकर यादव, सूरज यादव, रामनारायण यादव बाइपास पर परिवार तथा मवेशियों के साथ डेरा डाले हुए हैं. मवेशी के लिए चारा नहीं मिल रहा. पहले मवेशियों को खेत में चरा कर पेट भर देते थे. अब खरीद कर दाना चोकर आदि खिलाना पर रहा है. घर का पूरा अनाज भंस गया. कहते हैं कि बाढ़़ ने संभलने का मौका तक नहीं दिया. सब बर्बाद हो गया. कोई हाल तक जानने नहीं पहुंच रहा. अब भगवान के सिवा आखिर किस पर भरोसा करें.

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