बेतिया :कमेटी में पैसा लगाकर 42 लाख गंवाने और घर बेचने तक की धमकी झेल रहे शहर में कमलनाथनगर के बैंककर्मी देवानंद साह ने भले ही थाने में अर्जी देकर न्याय की गुहार लगाई है, लेकिन देवानंद साह के जैसे तमाम लोग इस कमेटी के जाल में फंसकर हर रोज दिवालिया होते जा रहे हैं.
कमेटी से उठाये गये पैसों को अदा करने का दबाव, पेनाल्टी का डर और किस्त का बोझ उन्हें इस कदर दलदल में ढ़केलता जा रहा है कि वें सुसाइड, क्राइम व बैंकरप्सी की ओर बढ़ते जा रहे हैं. सबकुछ जानने के बाद भी पुलिस व प्रशासन इसलिए चुप है कि क्योंकि इन कमेटियां में रसूखदार व ऊंची पहुंच के लोग भी शामिल हैं. नतीजा यह धंधा बदस्तूर जारी है.
पैसे के इस खेल में संचालक मोटा मुनाफा कमाते हैं, लेकिन सदस्यों को नुकसान उठाना ही पड़ता है. कड़े नियम व शर्तों के वायदे पर चल रही कमेटियों में वसूली के लिए विशेष कड़ाई रहती है. एक बार किश्त की देरी पर सदस्य को सारे लाभों से वंचित कर दिया जाता है. यह सारा खेल अनपढ़ से लेकर पढ़े लिखे व नौकरीपेशा लोग भी शामिल हैं. लेकिन पुलिस व प्रशासन के पास इस व्यवास पर नकेल कसने की कोई पहल नहीं है. या तो इस व्यवसाय में कोई कागजात नहीं तैयार किये जाते या कागजातों की कानूनी वैद्यता नहीं होती. जब धोखाधड़ी होती है तब इसके मामले सामने आते हैं.
अमूमन यह होते हैं कमेटी में शामिल : केमेटी के ग्राहकों में हर नौकरी-पेशा के लोग शामिल हैं. व्यवसायी से लेकर, वकील, बैंकर्स, शिक्षक, दुकानदार, किसान, गांव के अनपढ़ से लेकर शहर के बेरोजगार, नए व्यवसाय की इच्छा रखने वाले, कम आय वाले सभी पैसों की जरूरत के लिए कमेटी खेलते हैं.
हर कदम पर क्राइम कर रहीं कमेटियां : शहर में 100 से अधिक की संख्या में संचालित यह कमेटियां भले ही नो क्राइम की बात कर पुलिस कार्रवाई से बचती रही हैं, लेकिन यहां हर कदम पर अपराध होता हैं. 50 हजार से लेकर 10 से 20 लाख तक के टर्न ओवर यहां नकद में होते हैं. वसूली के लिए गैर लाइसेंसी असलहों तक का इस्तेमाल किया जाता है. बैंकिग नियमों की अनदेखी तो होती ही है कि टैक्स भी चुराया जाता है.