मैनाटांड़ : कहने के लिए ये दांत के चिकित्सक हैं. मगर ये ग्रामीण क्षेत्र से आये मरीजों के पेट के अलावा, बुखार, सर्दी-खांसी समेत महिलाओं जुड़े विभिन्न तरह के रोग का इलाज कर रहे हैं. यह कोई कहानी या लघु नाटिका नहीं बल्कि एक कड़वी और जमीनी सच्चाई है. यह मामला नेपाल बॉर्डर स्थित के […]
मैनाटांड़ : कहने के लिए ये दांत के चिकित्सक हैं. मगर ये ग्रामीण क्षेत्र से आये मरीजों के पेट के अलावा, बुखार, सर्दी-खांसी समेत महिलाओं जुड़े विभिन्न तरह के रोग का इलाज कर रहे हैं. यह कोई कहानी या लघु नाटिका नहीं बल्कि एक कड़वी और जमीनी सच्चाई है. यह मामला नेपाल बॉर्डर स्थित के मैनाटांड़ प्रखंड मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की है.
जहां यह दवा इलाज कोई चोरी छिपे नहीं बल्कि सरकार की ओर से स्थापित प्रखंड स्तरीय अस्पताल के ओपीडी में बैठक एक डेंटल चिकित्सक की ओर से किया जा रहा है. आम लोगों का आरोप तो यह है कि मौजूदा व्यवस्था वर्तमान समय में अंधेर नगरी चौपट राज की कहावत को चरितार्थ कर रहा है.
ग्रामीण मरीजों के जान से सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है. कई लोगों का कहना है कि यह व्यवस्था साबित कर रहा है कि विभागीय शासन व प्रशासन को जनता की सेहत से कोई सरोकार या मतलब नहीं है. या तो उसे किसी बड़े भावी हादसे का इंतजार है?
आश्चर्य तो यह कि सरकार की सेहत महकमे की ओर से बजाप्ता यहां तीन एमबीबीएस और एक दंत चिकित्सक को प्रतिनियुक्त किया गया है. नियमानुसार एक दंत चिकित्सक को दांत से जुड़े रोगियों का ही इलाज किया जाना है. फिर भी पता नहीं तीन एमबीबीएस चिकित्सकों के रहते यहां किस परिस्थिति में एक दंत चिकित्सक से जेनरल ओपीडी में डयूटी लिया जाता है और ये दंत चिकित्सक धड़ल्ले से सामान्य रोगियों की दवा और इलाज करते हैं. रोगियों के परिजनों को यह भी मालूम नहीं कि ये चिकित्सक एमबीबीएस या दांत चिकित्सक? वे इस चिकित्सक के दिये गये परामर्श को वे बेझिझक पालन करते आ रहे हैं.
यह तो शुक्र है कि अब तक कोई अनहोनी सामने नहीं आ सकी है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस प्रखंड के सोलह पंचायतों के अलावा इस अस्पताल में नेपाल से भी भारी संख्या में मरीज पहुंचते हैं. जबकि दंत चिकित्सक मनोज कुमार प्रतिसप्ताह दो से तीन दिन और कभी-कभी चार दिनों तक भी सामान्य ओपीडी में डयूटी करते हैं. विभागीय प्रशासन की ओर से दवा इलाज में बरती जा रही यह अनियमितता व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर रही है. लोगों को आशंका है कि यदि वर्तमान व्यवस्था के तहत यदि दंत चिकित्सक को सामान्य ओपीडी पर रोक नहीं लगायी जाती है तो भविष्य में किसी भावी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता.
इलाज में लापरवाही व्यवस्था में खामी को
कर रही उजागर
ग्रामीण मरीजों के जान से हो रहा सरेआम खिलवाड़
विभागीय शासन व प्रशासन को जनता की सेहत से नहीं है मतलब
विभाग को भावी हादसों का इंतजार
आदेश के बाद डॉक्टर
से लिया जा रहा कार्य
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के आदेश के आलोक में डेंटल चिकित्सक मनोज कुमार से सामान्य ओपीडी का कार्य लिया जा रहा है.
अनिल कुमार, प्रभारी स्वास्थ्य प्रबंधक, पीएचसी मैनाटांड़