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जीवन के हर मोड़ पर पुस्तकें होती हैं मददगार : कुलपति

इतिहास व परंपरा को पुनर्जीवित करना चुनौती पुस्तक होती हैं सबसे बड़ी दोस्त गांधी स्मारक परिसर में दस दिवसीय पुस्तक मेला शुरू मोतिहारी : शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है. उस इतिहास एवं परंपरा को पुनर्जीवित करना सबसे बड़ी चुनौती है. इस दिशा में पुस्तक मेला मील का पत्थर साबित होगा. […]

इतिहास व परंपरा को पुनर्जीवित करना चुनौती
पुस्तक होती हैं सबसे बड़ी दोस्त
गांधी स्मारक परिसर में दस दिवसीय पुस्तक मेला शुरू
मोतिहारी : शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है. उस इतिहास एवं परंपरा को पुनर्जीवित करना सबसे बड़ी चुनौती है. इस दिशा में पुस्तक मेला मील का पत्थर साबित होगा. इससे चंपारण जैसे अल्प विकसित क्षेत्र में एक नई जन-चेतना जागृत होगी. उक्त बातें महात्मा गांधी केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो़ डॉ अरविंद अग्रवाल ने कहीं.
वे शुक्रवार को गांधी संग्रहालय परिसर में आयोजित 10 दिवसीय पुस्तक मेला का शुभारंभ के बाद सभागार में आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पुस्तकें मनुष्य की सबसे बड़ी दोस्त होती है. जीवन के हर मोड़ पर और संकट की हर घड़ी में पुस्तकें हमारी सहायता के लिये मददगार साबित होती हैं.
श्री अग्रवाल ने कहा कि चंपारण सहित पूरे सूबे में पुस्तकों के प्रति लोगों का खासा आकर्षण दिखायी देता है.इससे पहले उन्होंने फीता काटकर मेला का शुभारंभ करने के बाद परिसर में लगे स्टॉलों पर भ्रमण कर महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, विनोबा भावे की पुस्तकें, आध्यात्मिक सहित अन्य पुस्तकों का अवलोकन किया. गांधी संग्रहालय के सचिव ब्रजकिशोर सिंह ने कहा कि यह पुस्तक मेला चंपारण क्षेत्र में शिक्षा की नई ज्योति जलायेगा. उन्होंने चंपारण शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित पुस्तक मेला और महात्मा गांधी की यात्रा को जोड़ते हुये कहा कि पुस्तक मेला गांधीजी के सपनों को साकार करने का प्रयास है. डीपीओ अश्विनी कुमार ने पुस्तक मेले जैसे आयोजन को पाठकों के लिये बेहद उपयोगी बताया. साथ ही इस परंपरा को जारी रखने पर बल दिया. इस अवसर पर आयोजक समय इंडिया के निदेशक चंद्र भूषण ने बुके नहीं बुक से स्वागत की परंपरा को आगे बढ़ाते आगत अतिथियों को अपनी पुस्तक ‘ऐसी रहे हमेशा खुश’ भेंट कर किया.
उन्होंने संचार माध्यमों के क्षेत्र में आयी क्रांति का उल्लेख करते हुये पुस्तक मेले के आयोजन को पाठकों और प्रकाशकों के लिये बेहद उपयोगी के साथ-साथ इस परंपरा को पठन संस्कृति का विस्तार बताया. कहा कि किताबों जैसे डेड माने जाने वाले आयोजन को करने के पीछे संस्था का उद्देश्य पठन संस्कृति और पुस्तक आंदोलन को मजबूत बनाना है. इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी सभा को संबोधित किया. संचालन जिला सर्वोदय मंडल के सचिव विनय कुमार ने किया. मौके पर संस्था के सदस्य सहित अन्य लोग मौजूद थे.

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