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किडनी के मरीजों का दोहन

परेशानी. सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर में सुविधा नदारद 70 लाख की लागत से बने एसी सेंटर में नहीं रहते हैं चिकित्सक किट्स का भी है अभाव पूछने पर झल्लाते हैं कर्मी मोतिहारी : लगभग 70 लाख की लागत से मोतिहारी सदर अस्पताल में बी ब्राउन मेडिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा पूरी तरह से […]

परेशानी. सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर में सुविधा नदारद

70 लाख की लागत से बने एसी सेंटर में नहीं रहते हैं चिकित्सक
किट्स का भी है अभाव
पूछने पर झल्लाते हैं कर्मी
मोतिहारी : लगभग 70 लाख की लागत से मोतिहारी सदर अस्पताल में बी ब्राउन मेडिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा पूरी तरह से वातानुकूलित डायलिसिस सेंटर का निर्माण किया गया. लोगों का मानना है कि लखन‍ऊ के पीजीआई के डायलिसिस सेंटर की तरह यहां भी मशीनें लगी हैं लेकिन यहां की व्यवस्था ठीक नहीं है.
चिकित्सक अक्सर नदारद रहते हैं. डायलिसिस टेक्निशियन के सहारे ही चलाया जा रहा है. कई बार किट्स उपलब्ध नहीं रहने के कारण लोगों को निजी नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ता है, जहां उन मरीजों से दोगुनी राशि वसूली जाती है. उनका दोहन-शोषण किया जाता है. कर्मचारी मरीजों से झल्ला कर बाते करते हैं, जिससे मरीज का मर्ज और बढ़ जाता है.
क्या है डायलिसिस सेंटर
जिन मरीजों का किडनी खराब हो जाता है. वैसे मरीजों को इस डायलिसिस सेंटर में भर्ती कराया जाता है. इसमें भर्ती के बाद लोगों को कुछ दिनों के लिए आयु बढ़ जाती है. किडनी फेल मरीजों को जीने के लिए सप्ताह में दो बार डायलिसिस पर चढ़ाया जा सकता है तभी वह एक सप्ताह के लिए जीवित रह सकते हैं.
आधुनिक सुविधा से लैस है डायलिसिस सेंटर : 13 मई 2015 को मोतिहारी सदर अस्पताल में पूरी तरह से वातानुकूलित तीन बेडों वाले इस डायलिसिस सेंटर का निर्माण किया गया, जिसमें एक चिकित्सक तथा तीन टेक्निशियन को प्रतिनियुक्त किया गया.
सेंटर खोलने का उद्देश्य : जहां किडनी फेल मरीजों को डायलिसिस के लिए पटना, दिल्ली जाना पड़ता था. वैसे मरीजों को कम खर्च पर सरकार ने अलग-अलग जिलों में डायलिसिस सेंटर का निर्माण किया. ताकि मरीजों को राहत मिल सके. अन्य प्राइवेट नर्सिंग होम में जहां मरीजों से चार से पांच हजार रूपया लिया जाता है. वहीं इस डायलिसिस सेंटर पर महज 1500 रूपया लेकर ईलाज किया जाता है.
निरीक्षण में गायब मिले चिकित्सक : इस डायलिसिस सेंटर का कई बार निरीक्षण किया गया. हर बार चिकित्सक नदारद रहे. बुधवार की देर रात स्वास्थ्य प्रबंधक विजय कुमार झा ने डायलिसिस सेंटर का निरीक्षण किया तो चिकित्सक गायब मिले. नाराज स्वास्थ्य प्रबंधक ने गुरुवार को बी ब्राउन मेडिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को एक पत्र लिख कर 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है कि एक चिकित्सक की छुट्टी पर जाने के बाद दूसरे चिकित्सक क्यों नहीं रखे गये.
नहीं मिलता लाभ
21 अप्रैल 2017 को केसरिया थाना के प्रदुमन छपरा निवासी महमद मुलतान का दोनों किडनी फेल है. वह डायलिसिस के लिए यहां आये थे लेकिन उनका डायलिसिस नहीं हुआ. नतीजतन प्राइवेट नर्सिंग होम में जाना पड़ा. वहीं नगर थाना के अगरवा निवासी डाॅ रत्नेश्वर ठाकुर अपने पुत्र के लिए डायलिसिस कराने आये थे लेकिन उनके पुत्र का डायलिसिस नहीं हो सका. उन्हें भी प्राइवेट नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ा.

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