आस्था. मां दुर्गा का पट खुलते ही दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी
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माता के जयकारे से गूंजे पंडाल
आस्था. मां दुर्गा का पट खुलते ही दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी रविवार की रात्रि होगी महानिशा पूजा कन्या को अलग-अलग रूप में देखने का विधान कन्या को भोजन कराने का भी अलग महत्व मोतिहारी : वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां दुर्गा का पट खुलते ही श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी […]
रविवार की रात्रि होगी महानिशा पूजा
कन्या को अलग-अलग रूप में देखने का विधान
कन्या को भोजन कराने का भी अलग महत्व
मोतिहारी : वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां दुर्गा का पट खुलते ही श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी पूरे नभ मंडल में मां की जय-जयकारा का गूंज सुनाई पड़ने लगा. हाथों में पूजा की थाली के साथ विभिन्न परिधानों में लिपटे पूजा पंडालों में जाते देखे गये, जहां श्रद्धालु भक्तों ने मां की पूजा-अर्चना की. आचार्य सुशील कुमार पांडेय के अनुसार मां का पट सुबह 6.12 से खुलना प्रारंभ हो गया. यह क्रम नवपत्रिका प्रवेश के अनुसार 4.40 तक रहा. उसके बाद 4.46 संध्या अष्ठमी प्रारंभ हो कर रविवार सायं 5.35 तक रहेगा. नवमी रविवार को 5.38 से प्रारंभ होकर सोमवार को 5.54 सांय तक रहेगा. उसके बाद दशमी सोमवार 5.55 से लेकर मंगलवार को साय 5.40 तक रहेगा.
महानिशा पूजा : निशा पूजा अष्ठमी व्याप्त मध्य रात्रि में निशा पूजा का प्रावधान है. अष्ठमी व्रत महा और निशा दो शब्दों से बना है. महा का अर्थ है बहुत बड़ा महत्वपूर्ण और निशा का अर्थ यानि वह रात्रि जो हमारे महत्वपूर्ण कार्यों को सिद्धि देने वाली होती है. निशा पूजा में माता के समीप छप्पन प्रकार का भोग करने से मनोवांक्षित फलों की प्राप्ति होती है.
नवमी को करायें कुंआरी कन्या को भोजन: शास्त्रोक्त विद्या के अनुसार नवरात्र पूजन में कुंआरी कन्याओं का पूजन अति श्रेष्ठ माना गया है. एक कन्या के पूजन से ऐश्वर्य, दो कन्या के पूजन से मोक्ष की प्राप्ति, तीन कन्या के पूजन धर्म, अर्थ, कार्य की प्राप्ति, चार कन्या की पूजन से राज्य पद की प्राप्ति, पांच कन्या की पूजन से विद्या प्राप्त होती है, छह कन्या की पूजन से शतकर्म सिद्धि की प्राप्ति, सात कन्या की पूजन से राज्य की प्राप्ति, आठ कन्या की पूजन से संपदा, नव कन्या के पूजन से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है.
इन रूपों में कन्या को देखने का है विधान : दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन वर्ष की कन्याओं को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्याओं में कल्याणी, पांच वर्ष की कन्याओं में रोहिणी, छह वर्ष की कन्याओं में काली, सात वर्ष की कन्याओं में चण्डिका,आठ वर्र्ष की कन्याओं में शांभवी, नौ वर्ष की कन्याओं में देवी दुर्गा, दश वर्ष की कन्याओं में सुभद्रा स्वरूप होता है. उससे अधिक उम्र की कन्या को कुमारी पूजा में शामिल करना वर्जित है.
यहां हो रही है पूजा: शहर के कचहरी चौक दुर्गा मंदिर, राजा बाजार, के रामजानकी मंदिर, बलुआ चौक दुर्गा मंदिर, स्टेशन दुर्गा मंदिर, बेली सराय महादेव मंदिर, ज्ञानबाबू चौक माई स्थान, अवधेष चौक, हेनरी बाजार, गाजा गदी चौक, मीना बाजार, रमां वैष्णो मंदिर, बेलही देवी मंदिर, छतौनी बस स्टैंड, बरियारपुर, गर्ल्स हाई स्कूल के पीछे, सपही देवी माई स्थान, मुक्तिधाम दुर्गा मंदिर में हो रही पूजा का आयोजन.
रूपडीह में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा.
पट खुलते ही मां के दर्शन को उमड़े लोग.
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