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सड़क दुर्घटना में संवेदक की मौत

हादसा : मोतीपुर में एनएच-28 पर हुई घटना, मोतिहारी के छोटा बिरयापुर के थे रहने वाले मोतिहारी : दलसिंहसराय से पंचायत चुनाव में मतपेटी मरम्मती कार्य का जायजा लेकर अल्टो कार से वापस लौट रहे संवेदक मनोज कुमार श्रीवास्तव की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी. दुर्घटना में कार पर सवार जीएम साउंड के मालिक […]

हादसा : मोतीपुर में एनएच-28 पर हुई घटना, मोतिहारी के छोटा बिरयापुर के थे रहने वाले

मोतिहारी : दलसिंहसराय से पंचायत चुनाव में मतपेटी मरम्मती कार्य का जायजा लेकर अल्टो कार से वापस लौट रहे संवेदक मनोज कुमार श्रीवास्तव की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी. दुर्घटना में कार पर सवार जीएम साउंड के मालिक कुमार संजय व चालक राजा कुमार घायल हो गये. हादसा मोतीपुर में एनएच-28 पर गुरुवार की सुबह करीब 3:30 की है.
चालक कार ड्राइव कर रहा था. आगे वाली सीट पर मनोज बैठे थे, जबकि पिछले सीट पर संजय सो रहे थे. पानापुर ओपी से आगे पंजाब-चंडीगढ़ ढाबा के पास अचानक एक जानवर सड़क पर आ गया. उसको बचाने में चालक अपना संतुलन खो बैठा और कार सड़क किनारे खड़ी कंटेनर के पीछे जा घुसी. मनोज श्रीवास्तव की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी.
मृतक मनोज व घायल संजय छतौनी थाना अंतर्गत छोटा बरियापुर के रहने वाले हैं. घटना की खबर मिलते ही छोटा बरियापुर मोहल्ला गम में
डूब गया.
गुरुवार की सुबह करीब 11 बजे मनोज का शव जैसे ही आवास पर पहुंचा, परिवार के लोग दहाड़ मार रोने लगे. पत्नी अलका देवी व मां कामनी देवी की स्थिति पागलों की तरह हो गयी थी. अलका पति के शव से लिपट दहाड़ मार बेहोश हो गयी. वहीं, मां कामनी देवी दीवार पर सर पटक -पटक अपनी किस्मत को कोस रही थी. रोते हुए कह रही थी, हे भगवान इहे दिन देखेला हमरा से जीआवत रहल, हमरे के उठा लेत. हमार बबलुआ कहा चल गइले. हमर रजउ कह के कइल रहलन की रातो-बिरात हम लौट के चल आइब. वहीं पुत्री रोमा कुमारी कभी पिता को शव से लिपट कर रो रही थी तो कभी मां व दादी से सवाल कर रही थी
कि पापा को क्या हो गया. ये उठ क्यों नहीं रहे. इन्हें जमीन पर क्यों सुलाया गया है. आपलोगों को समझ में नहीं आ रहा. परिवार के हर एक सदस्य की स्थिति पगलों की तरह थी. किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि मनोज के परिवार वालों को ढांढस बंधा सके.
आंखे‍ं खुली तो सामने मौत देख कांप गया कलेजा
मनोज के साथ कार में सफल कर रहे कुमार संजय बताते हैं, सुबह के करीब 3:30 बज रहा था. मनोज आगे वाली सीट पर बैठा था, जबकि मैं पिछले सीट पर आराम से सो रहा था. मोतीपुर के साथ अचानक जोड़दार आवाज हुआ. नींद खुली तो आंखों से सामने जो दृष्य था, उसके देख कलेज कांप गया. कार का परखच्चा उड़ गया था. चालक सीट पर बदहवास बैठ कांप रहा था, जबकि कुछ दूर पर मनोज का शव गिरा था. उन्होंने कहा, पिछले सीट पर सोया था कि बच गया,
नहीं तो मेरा भी सिर धर से अलग रहता. कहा, चार महीना से हमलोग गाड़ी से रेगुरल सफर कर रहे हैं. चालक साथ रहता है, लेकिन एनएच पर हम खुद गाड़ी ड्राइव करते हैं. क्या पता कल चालक को गाड़ी ड्राइव करने के लिए कैसे दे दिया, समझ में नहीं आ रहा.
धनबाद से पुत्र आया तो दी मुखाग्नि
संवेदक मनोज के दो पुत्र भोलू कुमार व गोलू कुमार धनबाद में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं. पिता की मौत की खबर मिली तो दोनों पुत्र धनबाद से मोतिहारी के लिए रवाना हो गये. शाम चार बजे तक मोतिहारी पहुंचे.
मनोज का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बंजरिया थाना के बुढवा में होगा. पड़ोसी पियुष रंजन व दीपु कुमार ने बताया कि मनोज काफी मिलनसार थे. किसी के मुसिबत में साथ देने के लिए हमेशा आगे रहते थे. दीपु ने बताया, 15 दिन पहले धनबाद से लौटते समय भी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. उस समय उनको मामूली चोट आयी थी.
मनोज का संयुक्त परिवार था मिसाल
मनोज श्रीवास्तव छह भाई थे. बड़े भाई अरुण श्रीवास्तव की मौत पहले ही हो चुकी है. वहीं, अजय श्रीवास्तव चितरंजन में रेलवे में नौकरी करते हैं, जबकि मनोज के नाम से रजिस्ट्रड समाहरणालय परिसर स्थित एक होटल मुनटुन श्रीवास्तव चलाते हैं. चुन्नु श्रीवास्तव व मिंटु श्रीवास्तव का भी अपना-अपना व्यवसाय है. सभी का संयुक्त परिवार छोटा बरियारपुर मोहल्ला के लिए एक मिसाल माना जाता है.
कंटेनर से टकरायी अल्टो, चालक सहित दो घायल
शव पहुंचा तो परिजनों का रोते-रोते हुआ बुरा हाल
पत्नी शव से लिपट दहाड़ मार हो जा रही थी बेहोश
मां अपनी किस्मत पर बहा रही थी आंसू, चहुंओर गम

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