मोतिहारी : कहा जाता है कि आवश्यकता ही अाविष्कार की जननी होती है. जब जैसा समय आता है तब अाविष्कारक नयी नयी वस्तूओं व यंत्रों का अाविष्कार कर सामाज व राष्ट्र में मिशाल कायम करते हैं. उनके द्वारा किये गये अाविष्कारों की सराहना भी चारों तरफ होती है और सरकार अनेक घोषणाएं करती हैं, लेकिन उसपर अमल कितना होता है पूर्वी चंपारण जिले के दर्जनों अाविष्कारकों की हालत को देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है.
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कामयाबी का लोहा मनवाने वाले दर्जनों अाविष्कारक दो जून की रोटी के लिए मोहताज हैं और गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं. अभी कोई शहद बचता है तो कोई सड़क के किनारे दूकान चलाता है.
अपना सब कुछ बेच चुके हैं सईदूल्लाह
मोतिहारी के मठिया डीह निवासी मो सईदुल्लाह अाविष्कार में अपना सब कुछ गंवा चुके हैं. पुस्तैनी में मिली 40 एकड महंगी जमीन भी उन्होंने अाविष्कार में ही बेच दी. आज वह दो जून की रोटी के लिए मोहताज हैं. उन्होंने पानी व सड़क पर सामान रूप से चलने वाली साइकिल, रिक्शा, बगैर कोई इंधन के चलने वाला पंखा, हाथ से बिना कोई खर्च के चलने वाला पंपपींग सेट समेत कई यंत्र बनाए हैं. पांच वर्ष अहमदाबाद में पूर्व राष्ट्रपति स्व डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें सम्मानित भी किया था और उनके द्वारा किये गये अाविष्कारों की सराहना भी की थी.
मीना बाजार में दुकान चला रहे अशोक ठाकुर
अाविष्कारक अशोक ठाकुर ने एक चूल्हे का अाविष्कार किया था. उसकी विशेषता यह है कि दो रुपये की लागत से पूरे परिवार का खाना एक बार आसानी से बन सकता है. यह चूल्हा भूसा से जलने वाला आधुनिक तरीका का है. इसी तरह से मो सेराजुद्गीन, जमला के भोला मस्तान, चिरैया के छात्र कुंदन कुमार व मोतिहारी के प्रमोद स्टेफन समेत दर्जन भर नाम है.
एनआइएफ अहमदाबाद ने किया था इन्हें प्रोत्साहित
इन अाविष्कारों को एनआइएफ अहमदाबाद ने पांच वर्ष पूर्व प्रोत्साहित किया था. सामाजिक कार्यकर्ता अजहर हुसैन अंसारी के माध्यम से ये सभी अाविष्कारक अहमदाबाद गये थे. जहां इनके द्वारा किये अाविष्कार की सराहना की गयी थी. एनआइएफ ने उनकी हौसला अफजाई भी की और कुछ राशि मदद के तौर पर दी.
क्या कहते हैं डीएम
जिलाधिकारी अनुपम कुमार ने बताया कि उनके पास इस तरह का कोई मामला अभी तक नहीं आया है. अगर आता है तो विभाग को लिखा जायेगा.