मोतिहारी : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिला इन दिनों बाल तस्करों के लिए सुरक्षित जोन बनता जा रहा है.उनकी लागातार बढ रही सक्रियता से एक तरफ श्रम संसाधन विभाग सकते में है तो दूसरी तरफ बाल तस्कारों के खिलाफ जिले में काम करने वाली संगठने भी काफी चिंतित हैं.
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बाल तस्करों के लिए सुरक्षित जोन बना पूर्वी चंपारण
मोतिहारी : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिला इन दिनों बाल तस्करों के लिए सुरक्षित जोन बनता जा रहा है.उनकी लागातार बढ रही सक्रियता से एक तरफ श्रम संसाधन विभाग सकते में है तो दूसरी तरफ बाल तस्कारों के खिलाफ जिले में काम करने वाली संगठने भी काफी चिंतित हैं. जानकार बताते हैं कि […]
जानकार बताते हैं कि एक वर्ष में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से करीब पांच सौ बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया जा चुका है. इनमें से अधिकांश बच्चों को देश के महानगरों में जाने वाली ट्रेनों से उतार गया है.अधिकांश दलाल भागने में सफल रहे हैं.
बताते हैं कि दलाल बच्चों को ट्रेन की बोगी में बैठाकर अलग दूसरे बोगी में चले जाते हैं और समय-समय पर निगरानी कर रहते हैं.इन बच्चों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलौर व अमृतसर आदि में संचालित कल-कारखानों में काम दिलाने का बहाना बनाकर ले जाया जाता है जहा भरपूर शोषण किया जाता है.
हालांकि भारत-नेपाल सीमा पर प्रयास के अलावा कई संगठने बाल-श्रमिकों को पकड़ने में जुटी हुई है. वर्ष 2015 में प्रयास ने रक्सौल से 152 बच्चों को उस समय बरामद कर चुकी है जब उन्हें महानगर में ट्रेन से ले जाने की कोशिश की जा रही थी.
पिछले साल मुंबई व बंगलौर से मुक्त कराये गये थे पूर्वी चंपारण के सात दर्जन बच्चे: प्रथम संस्था द्वारा पिछले साल एक कारखाना में छापेमारी की गयी थी.
जहां से करीब चार दर्जन बच्चों को मुक्त कराया गया था.सभी बच्चे पूर्वी चंपारण के थे और उन्हें काफी मशक्कत के बाद मोतिहारी लाया गया और आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया.वहीं बंगलौर से भी 39 बच्चों को विमुक्त कराया गया था.
बाल कल्याण समिति के न्यायालय में होती है प्रस्तुति: मुक्त कराये गये सभी बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति के न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है और आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद उनके अभिभावकों को सौंप दिया जाता है.जिनके अभिभावक नहीं मिल पाते हैं उन्हें होम में रख दिया जाता है.इस दौरान बच्चों को लेने आये अभिभावकों से बांड भी भरवाया जाता है और भविषय में ऐसी गलती दूबारा नहीं करने की चेतावनी भी दी जाती है.
बच्चों के पुनर्वास के लिए श्रम विभाग देती है 18 सौ रुपये : विमुक्त कराये गये बच्चों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. इनमें एक पुनर्वास योजना भी शामिल है. प्रत्येक बच्चों को फिल्हाल 18-18 सौ रुपये दिये जाते हैं.
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