मोतिहारी : नहाय खाय के साथ छठ पूजा के दूसरे दिन यानी सोमवार को खरना है . इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रहने के बाद सायं काल गोधूली बेला में मिटी के चूल्हा पर आम की लकड़ी से पूजन सामग्री का निर्माण कर पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करती है . आर्ष विद्या शिक्षण संस्थान के प्राचार्य पं. सुशील पाण्डे ने बताया कि पूजा सामग्री से पहले नेवज निकाला जाता है .
उसके बाद व्र्रती प्रसाद ग्रहण करती है तक परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद ग्रहण करने के बाद भोजन करते हैं.
कैसे होता है पूजन सामग्री का निर्माण
खरना के सांय में पूजा सामग्री के लिए साठी धान के चावल को गूड़ व गाय के दूध में मिटी के चूल्हे पर बनाया जाता है . पूजा योगय रोटी भी उसी चूल्हे पर बनाना चाहिए. श्री पाण्डे के अनुसार अगर गाय का दूध नहीं मिले तो विकल्प के तौर पर भैंस के दूध का भी प्रयोग किया जा सकता है
दउरा व सूप वंश वृद्धि व समृद्धि का प्रतीक
भारतीय संस्कृति में बांस के दउरा व सूप को वंश वृद्धि व समृद्धि का प्रतीक माना गया है . तभी तो छठ पूजा में बांस के दउरा व सूप में पूजा सामग्री रख कर व्रती छठ घाट तक जाती है और पूजा करती है .चाहे वह गरीब हो या अमीर. सभी बांस के दउरा में हीं पूजन सामग्री छठ घाट तक ले जाती है .श्री पाण्डे के अनुसार बांस को वंश वृद्धि का भी प्रतीक माना गया है तभी तो लोग रविवार व मंगलवार को बांस को काटने से परहेज करते हैं .
बनकटवा़ प्रखंड अंतर्गत बीजबनी उतरी पंचायत की मुखिया शिवकली देवी ने अपने आवास पर रविवार को छठ व्रतियों के बीच साडियों का वितरण किया. जानकारी देते हुए मुखियापति सह पूर्व मुखिया रामाराय ने बताया कि पंचायत क्षेत्र के बीजबनी, बरैया टोला, घोंघिया, बाथू टोला, रेगनिया व बलूआ गांव की करीब पांच सौ छठ व्रतियों के बीच साड़ियों का वितरण किया गया है. मौके पर मुखिया पुत्र सुबोध कुमार यादव, शंकर राय, श्रवण यादव सहित कई अन्य मौजूद थे.