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मानव जीवन का सार है श्रीमद्भागवत : प्रेमाचार्य महाराज

अहिरौली में चल रहे मां अहिल्या सह श्रीराम परिवार प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार को विभिन्न कार्यक्रम संपन्न किए गए.

बक्सर. अहिरौली में चल रहे मां अहिल्या सह श्रीराम परिवार प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार को विभिन्न कार्यक्रम संपन्न किए गए. मंडप में देवी-देवताओं के पूजन-अर्चन के साथ ही मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं के प्राण प्रतिष्ठा की विधि वैदिक विधान के साथ पूरी की गई. जबकि विद्वत आचार्यों द्वारा शाम को कथा-प्रवचन की अमृत वर्षा कर श्रद्धालुओं की धर्म संबंधी पिपासा शांत की गयी. विशाल धर्मज्ञान यज्ञ में कथा मर्मज्ञ प्रेमाचार्य ””पीतांबर जी”” महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत ज्ञान प्रवाह तथा मानस कथा स्वामी श्री रामेश्वरानंद जी द्वारा श्रीराम कथा सुनायी गयी. श्रीमद्भागवत कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से पूज्य श्री प्रेमाचार्य ””पीतांबर जी”” महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मानव जीवन का सार है. जब हमारा मन विचलित हो, पीड़ित हो, भ्रमित हो, चंचल हो तथा कुछ सूझबूझ नहीं रहा हो तो ऐसी स्थिति में हमें सबकुछ त्याग कर श्रीमद् भागवत के शरण में चले जाना चाहिए. क्योंकि सत्संग के अनुसरण मात्र से जीव का कल्याण हो जाता है. सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं. जीवन भक्तिमय और आनंदकारी हो जाता है. कथा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में श्रीकृष्ण ऐसे नायक हैं जिसमें लोक चेतना, लोक व्यवहार, लोक मर्यादा, लोक रक्षा तथा लोक के आचार-विचार का मार्गदर्शन सहज ही परिलक्षित होता है. जीवन में संयम एवं सदाचारिता का समावेश ही भक्ति है. भक्ति केवल हमारे निर्मल मन द्वारा ही संभव है. यही कारण है कि हमारा कलुषित मन केवल और केवल हमें ही परेशान करता है. व्यक्ति के विचारों की शुचिता ही अन्य जन से श्रेष्ठतम बनाते हैं. इसलिए शुद्ध विचार को धारण करना हमारा प्रथम प्रयास होना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले हमें इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि वहां हमारा, हमारे इष्ट या गुरु का अपमान तो नहीं हो रहा है. यदि ऐसा होने की आशंका है तो उस स्थान पर न जाना श्रेयस्कर है. चाहे वह स्थान हमारे अपने जन्मदाता पिता का ही घर क्यों न हो. श्रीराम कथा श्रवण से दूर होते हैं कष्ट : स्वामी रामेश्वरानंद स्वामी रामेश्वरानंद जी ने कहा कि जो भी मनुष्य श्रीराम कथा का श्रवण करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. कथा श्रवण मात्र से ही सबका कल्याण हो जाता है. जो जैसा अन्न खाता है, उसका मन भी वैसा ही हो जाता है. यही वजह है कि अधर्म को देखने तथा उसकी संगति में रहने से व्यक्ति अधर्मी हो जाता है. अतः हमें सदैव धर्मानुरागी बनकर सत्कर्मों में ही लीन रहना चाहिए. ऐसा करने से श्रीहरि की कृपा हमारे साथ निरंतर बनी रहती है. ऐसा लग रहा है कि आज तीसरे दिन प्रवचन सुनने के लिए आस-पास का पूरा क्षेत्र ही उमड़ पड़ा है.

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