बक्सर : धार्मिक नगरी को पर्यटन की दृष्टिकोण से विकसित करने को लेकर स्थापित ध्वनि व प्रकाश प्रदर्शन केंद्र खंडहर में तब्दील हो गया है. गंगा किनारे स्थित रामरेखा घाट पर 33 साल पूर्व बने ध्वनि व प्रकाश प्रदर्शन केंद्र अब अपनी पहचान खो दिया है.
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लाइट एंड साउंड सेंटर कभी पर्यटकों से रहता था गुलजार, आज बना है खंडहर
बक्सर : धार्मिक नगरी को पर्यटन की दृष्टिकोण से विकसित करने को लेकर स्थापित ध्वनि व प्रकाश प्रदर्शन केंद्र खंडहर में तब्दील हो गया है. गंगा किनारे स्थित रामरेखा घाट पर 33 साल पूर्व बने ध्वनि व प्रकाश प्रदर्शन केंद्र अब अपनी पहचान खो दिया है. वर्षों पहले प्राकृतिक छठा बिखेरने वाले दीवारों से लेकर […]
वर्षों पहले प्राकृतिक छठा बिखेरने वाले दीवारों से लेकर अंदर परिसर में पौधे उग गये हैं. एक करोड़ 20 लाख की राशि से तैयार इस परिसर में खुले रूप में लंका से लेकर अयोध्या तक स्थापित है. आज भी उसी स्थिति में अडिग रूप से संरचनाएं खड़ी हैं.
विभागीय लापरवाही की वजह से मामूली तकनीकी खराबी की वजह से ध्वनि व प्रकाश केंद्र मिटने के कगार पर है. जबकि शुरुआती दौर में यह न केवल जिले के लिए बल्कि प्रदेश के लिए एक अनूठा केंद्र था. यहां लगे लाखों की मशीनें आज पूरी तरह से समाप्त हो गयी है. लाइट एवं साउंड की संरचनाएं भी समाप्त हो गयी है.
केंद्र के नाम पर महज एक खंडहर ही बचा है. केंद्र को संचालित करने के लिए लगाये गये जेनरेटर भी विभाग ने पटना मंगवा लिया जो पटना विभाग की शोभा बढ़ा रहा है. जब केंद्र की स्थापना हुई थी तो ओपेन में रात्रि के समय लाइट एवं साउंड के माध्यम से रामायण का दृश्य प्रस्तुत किया जाता था.
इसके लिए लोगों को मामूली शुल्क देना पड़ता था. आज भी इस खंडहर की रक्षा करने के लिए पर्यटन विभाग का एक रात्रि प्रहरी 1986 से ही कार्यरत है. विभागीय उदासीनता के कारण कैंपस का अतिक्रमण भी शुरू हो गया है. जिसके लिए रात्रि प्रहरी ने कई बार विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने एवं परिसर की घेराबंदी करने के लिए लिखा है, लेकिन आज तक विभागीय स्तर पर कोई कारवाई नहीं की गयी है.
केंद्र पर जाने के रास्ते हो गये हैं बंद: ध्वनि व प्रकाश प्रदर्शन केंद्र पर जाने का कोई रास्ता नहीं है. मुख्य गेट पर नाली एवं शौचालय की पानी का जमाव हो गया है. जिसके कारण मुख्य गेट व परिसर तालाब का रूप ले लिया है. जिस पर जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है और न ही पर्यटन विभाग का ही इस ओर ध्यान है. कुछ भागों में आसपास के लोगों द्वारा कचरे का निस्तारण भी किया जा रहा है.
मुख्य गेट पर जलजमाव के कारण केंद्र तक पहुंचना कठिन है.
एक करोड़ 20 लाख रुपये से बना था केंद्र
जिले को धार्मिक एवं पर्यटन के माध्यम से विकसित करने को लेकर पर्यटन विभाग ने एक करोड़ बीस लाख की लागत से केंद्र स्थापित की थी. लेकिन जिस उद्देश्य से संस्थान की स्थापना किया गया था उसमें वह सफल नहीं हो पाया. संचालन सही ढंग से नहीं किये जाने के कारण बंद होने के बाद धीरे-धीरे रूग्ण स्थिति में आ गया.
आज भी केंद्र में बैठने के लिए बनायी गयी सीढ़ियां बची है. केंद्र के पूर्वी भाग में एक लंबा हॉल बनाया गया है. जिसके छत पर कई पिलर बनाये गये हैं. जहां अयोध्या की प्रस्तुति होती थी. वहीं केंद्र के उत्तरी क्षेत्र में गंगा की तरफ लंका का दृश्य प्रस्तुत किया जाता था जो आज भी कायम है.
दीवारें टूट रही है. परिसर के चारों तरफ अतिक्रमण जारी है. केंद्र के बंद हो जाने के बाद विभागीय अधिकारियों ने केंद्र में संचालित जेनरेटर को भी पटना उठा ले गये. केंद्र में एक-दो मामूली साउंड एवं लाइट के सिस्टम खराब हो गये थे. जिन्हें आसानी से ठीक कराया जा सकता था.
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