बक्सर कोर्ट: हत्या के मामले में 11 अक्तूबर को दोषी पाये गये दो आरोपितों को कोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुना दी. फास्ट ट्रैक कोर्ट-टू के न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने सभी गवाहों की गवाही सुनने और अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद आरोपित फेंकू चौधरी और लाल बहादुर चौधरी को आजीवन कारावास की सजा सुनायी.
सजा के साथ-साथ आरोपितों पर 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है जिसकी 80 प्रतिशत राशि मृतक के विधवा को दी जायेगी.घटना छह अगस्त 2002 के कांड संख्या 113/2002 से जुड़ी हुई है. डुमरांव थाना क्षेत्र के गोपाल डेरा गांव में मवेशी चराने को लेकर उपजे विवाद में रवींद्र यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में मृतक के भाई हरिश्वर यादव के बयान पर डुमरांव थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी जिसमें कुल छह लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.सभी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. चार अन्य का मामला दूसरे न्यायालय में चल रहा है. जबकि इस मामले में दोषी पाये गये फेंकू चौधरी और लाल बहादुर चौधरी को शुक्रवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी.
आठ लोगों की हुई गवाही, 15 वर्ष चला केस : इस मामले में कुल आठ लोगों की गवाही हुई है. 15 वर्षों तक यह केस भिन्न-भिन्न न्यायालयों में चलता रहा जिसके बाद त्वरित निष्पादित करने के लिए इसे फास्ट ट्रैक न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया. लगभग दो माह पहले फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस आने के बाद त्वरित गति से केस को निष्पादित करते हुए सभी बिंदुओं की गहनता से जांच करने के बाद सजा सुनायी गयी. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक राम कृष्ण चौबे एवं त्रिलोकी मोहन ने बहस में हिस्सा लिया.
और अधिक लग सकता था अर्थदंड : हत्या के मामले में न्यायालय द्वारा और अधिक अर्थदंड लगाया जा सकता था. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने निवेदन किया कि आरोपित बहुत गरीब हैं तथा रिक्शा चलाकर एवं मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. ऐसे में कम-से-कम अर्थदंड लगाया जाये. कई अन्य मामलों में न्यायालय द्वारा बड़े अर्थदंड लगाकर पीड़ित परिवार को देने का आदेश दिया था लेकिन आरोपितों के निर्धनता को देख 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया. साथ ही आदेश दिया कि उक्त राशि की 80 प्रतिशत मृतक के पत्नी को दे दी जाये. अर्थदंड नहीं देने की स्थिति में अभियुक्तों को एक माह अतिरिक्त जेल में बिताने होंगे.