Bihar News: पटना विश्वविद्यालय में पीएचडी करना अब पहले से महंगा हो जायेगा. जितनी फीस वर्तमान में है, उससे दोगुनी से भी अधिक करने पर शुक्रवार को विवि के एकेडमिक काउंसिल की बैठक में सहमति बन गयी है. हालांकि फीस स्ट्रक्चर अभी तय नहीं है, लेकिन जल्द ही उसे तय करके जारी किया जायेगा. इसके पीछे का तर्क यह है कि वर्तमान में जो फीस स्ट्रक्चर है, वह काफी पुराना है.
नामांकन से लेकर थीसिस सबमिसन तक की राशि में दोगुनी बढ़ोतरी की जायेगी. वर्तमान में रजिस्ट्रेशन और कोर्स वर्क की फीस दो-दो हजार रुपये है, जिसे पांच-पांच हजार तक और थीसिस सबमिसन के लिए पांच हजार की जगह 10 से 15 हजार तक बढ़ोतरी की जा सकती है. नया फीस स्ट्रक्चर तय होने के बाद अगली बैठक में उसे स्वीकृति मिलेगी. फिलहाल इतना तय है कि पीएचडी की फीस में बढ़ोतरी की जायेगी.
यूजी में सीबीसीएस को मिली मंजूरी, नये रेगुलेशन व आॅर्डिनेंस को भी स्वीकृति
पटना विवि में यूजी (स्नातक) में सीबीसीएस के तहत पढ़ाई को लेकर एकेडमिक काउंसिल की स्वीकृति दी गयी है. नये रेगुलेशन व आॅर्डिनेंस को भी स्वीकृति दी गयी है. 2022 से यूजी में सीबीसीएस के तहत पढ़ाई होगी. नये रेगुलेशन के अनुसार सिलेबस तैयार होगा. जो यूजीसी के अनुरूप होगा. उसे भी एकेडमिक काउंसिल से स्वीकृति दी जायेगी. सिंडिकेट व सीनेट की स्वीकृति के बाद प्रस्ताव को राजभवन भी स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. पीजी व वोकेशनल कोर्स में सीबीसीएस पहले से लागू है.
बीसीए व मास्टर इन पीएमआइआर को स्वीकृति : बैठक में निर्णय लिया गया कि बीएससी इन कंप्यूटर व बीए इन कंप्यूटर अब बीसीए हो जायेगा. इसके रेगुलेशन व आॅर्डिनेंस को स्वीकृति दी गयी है. पीजी डिप्लोमा इन रिमोट सेंसिंग को भूगोल से हटा कर भूगर्भ शास्त्र विभाग में शिफ्ट किये जाने पर भी विचार विमर्श हुआ. पीएचडी की थीसिस सबमिसन का नियम भी बदला है. अब एग्जामिनर के पास लूज बाइंडिंग कॉपी जायेगी. ताकि एग्जामिनर अगर कुछ एडवाइस करें, तो थीसिस में बदलाव हो सके. बैठक कुलपति प्रो गिरीश कुमार चौधरी की अध्यक्षता में हुई थी. इसमें रजिस्ट्रार कर्नल कामेश कुमार, डीएसडल्ब्यू प्रो अनिल कुमार समेत सभी अधिकारी, डीन, विभागाध्यक्ष व काउंसिल के सदस्य मौजूद थे.
किसी के नाम से गोल्ड मेडल करने को देने होंगे 12 लाख
पीयू में दीक्षांत समारोह में किसी के नाम से गोल्ड मेडल देने का प्रावधान है. अब तक इसके लिए 4 लाख रुपये निर्धारित थे. इससे दस ग्राम का गोल्ड मेडल दिया जाता था. अब 12 लाख रुपये विवि में जमा कराने होंगे. वहीं स्कॉलरशिप भी किसी के नाम से देने के लिए 5 लाख रुपये की राशि देनी होगी. जमा राशि के इंटरेस्ट से ये गोल्ड मेडल व स्कॉलरशिप दिये जाते हैं. ऋषिकेश परमेश्वर द्वारा क्लिनिक साइकोलॉजी में गोल्ड मेडल के मामले में निर्णय लिया गया कि किसी एक पेपर में नहीं बल्कि विषय में ही गोल्ड मेडल दिया जा सकता है. अन्य मुद्दों पर भी मुहर लगी.
Posted by: Radheshyam Kushwaha