दुखद. हर जगह है कचरे का अंबार, गलियों में चल रहा खटाल और खुली पड़ी हैं नालियां
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कैसे बनेगी ”स्मार्ट”, सिटी के हालात ”बैड”
दुखद. हर जगह है कचरे का अंबार, गलियों में चल रहा खटाल और खुली पड़ी हैं नालियां आरा : नगर निगम में स्वच्छता के लिए कई योजनाएं बनीं, कई बार प्रयास भी हुए, कई चरणों में इसकी व्यवस्था हुई. बाहरी तथा स्थानीय स्वैच्छिक संगठनों को करोड़ों रुपये सफाई के लिए दिये गये. सफाई अभियान की […]
आरा : नगर निगम में स्वच्छता के लिए कई योजनाएं बनीं, कई बार प्रयास भी हुए, कई चरणों में इसकी व्यवस्था हुई. बाहरी तथा स्थानीय स्वैच्छिक संगठनों को करोड़ों रुपये सफाई के लिए दिये गये. सफाई अभियान की शुरुआत भी हुई, पर हमेशा ही यह टांय-टांय फिस्स साबित हुआ. सफाई अभियान हमेशा बेअसर रहा. कचराें की भरमार, नालियों की दु:स्थिति, खुली नालियां, गलियों में खटाल, अनियमित सफाई व्यवस्था हर घर से कचरा संग्रहण की व्यवस्था की धज्जियां उड़ती दिखायी दे रही हैं. मानक के स्तर पर अभी तक सभी व्यवस्थाएं नहीं पहुंच सकी हैं.
हालांकि निगम द्वारा इस पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. वहीं कचरा से बिजली बनाने की योजना भी ठंडे बस्ते में धूल चाट रही हैं. जबकि निगम अपने जीवन के नौवें वर्ष का सफर पूरा कर रहा है और नगर केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना में शामिल हो चुका है.
नहीं होती गलियों, नालियों व सड़कों की सफाई : पूरे नगर में गलियों, नालियों एवं सड़कों की नियमित सफाई नहीं होती है. इससे कई नालियों में जाम की स्थिति बनी रहती है. इससे पानी का निकास नहीं हो पाता है. वहीं गलियों में सफाई नहीं होने से कचरा पसरा रहता है, जिससे नगरवासियों को आने-जाने में काफी असुविधा होती है. कचराें से निकलने वाली दुर्गंध से लोग परेशान रहते हैं. वहीं सड़कों की भी पर्याप्त सफाई नहीं होने से सड़कों पर भी गंदगी फैली रहती है.
कहीं – कहीं तो कूड़े का ढेर लगा रहता है.
घर-घर कचरा संग्रहण की निकली हवा : निगम के बहु प्रचारित एवं महत्वकांक्षी योजना घर-घर से कचरा संग्रहण योजना की हवा निकलती नजर आ रही है. कचरा संग्रहण करनेवाले सफाई कर्मी कभी नियमित रूप से मुहल्लों में नहीं जाते. इससे मुहल्लावासियों को अपने घरों के कचरा फेंकने में समस्या होती है.
गोबर भी नाली जाम का है मुख्य कारण : नालियों में गोबर गिरने से पानी का बहाव रुक जाता है. नालियां जाम हो जाती हैं. इससे नालियों की स्थिति बदतर बनी रहती है. हर उस मुहल्ले की यही स्थिति है, जहां गलियों में खटाल चलाया जाता है. पर निगम द्वारा इस पर अंकुश नहीं लगाने से स्थिति बद से बदतर होते जा रही है. इससे लोगों में काफी आक्रोश है.
डस्टबीन की अभी तक नहीं हुई पर्याप्त व्यवस्था : निगम के स्तर के अनुरूप अभी तक पूरे नगर में डस्टबीनों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गयी है. वहीं इसके नियमित उठाव की भी व्यवस्था नहीं है.
इससे कचरा वहीं पड़ा रह जाता है और समस्या पैदा करता है.
करोड़ों खर्च किये जा चुके हैं सफाई व्यवस्था पर : सफाई व्यवस्था को लेकर निगम द्वारा करोड़ों रुपये खर्च अभी तक किये जा चुके हैं. सफाई के लिए बाहरी तथा स्थानीय एनजीओ नियुक्त कर इसका जिम्मा सौंपा गया. पर स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ.
सड़क किनारे लगा कचरे का अंबार.
सभी नालियां हैं खुलीं
निगम बनने के बाद भी नगर की सभी नालियां खुली हुई हैं. किसी भी नाली की व्यवस्थित तरीके से ढलाई नहीं की गयी है. इससे नालियां अपनी बदतर स्थिति में हैं. मच्छरों का प्रकोप इन नालियों के कारण हमेशा बना रहता है. वहीं नालियों की दुर्गंध से लोगों को परेशानी होती है तथा संक्रामक बीमारियों के पैदा होने का भी भय बना रहता है. जबकि निगम बनने के बाद प्रमुख नालियों सहित सभी नालियों का ढलाई होना आवश्यक होता है.
गलियों में हैं खटाल
नगर के अधिकतर मुहल्लों की गलियों में खटाल चलाये जाते हैं. इससे गलियों की स्थिति भयावह बनी रहती है. इस पर निगम प्रशासन तथा जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने से मुहल्लावासी काफी परेशानी झेलते हैं. लोगों को आने -जाने में काफी समस्या पैदा होती है. खटाल वालों की रुतबा ऐसी है कि मुहल्लावासी उनको समझाने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाते.
खुले नाले फैला रहे बदबू.
नौ वर्षीय नगर निगम अब तक नहीं निकला स्वच्छता के सफर पर
कचरा प्रबंधन से बिजली बनाने की योजना भी ठंडे बस्ते में
हर घर से कचरा उठाने की व्यवस्था हवा-हवाई
नगरवासी भी हैं दोषी
नगरवासियों को भी अपने सोच में परिवर्तन करना होगा तथा कचरों को डस्टबीन में फेंकना होगा. पर कई लोग अपने घरों के कचरों को डस्टबीन में नहीं फेंक कर अगल- बगल फेंकते हैं. इससे कचरा सब जगह फैल जाता है. जो गंदगी का कारण बनता है. ऐसे में निगम द्वारा नगरवासियों को अभियान चला कर कचरे को डस्टबीन में फेंकने के लिए प्रेरित करने हेतु शिक्षित करना चाहिए.
नगर में हर तरफ गंदगी फैली है. मच्छरों के प्रकोप से रात की बात छोड़ें, दिन में रहना मुश्किल होता है. सफाई की बिल्कुल लचर व्यवस्था है. इसमें सुधार करने की जरूरत है.
राज कुमार ओझा, नगरवासी
नगर निगम द्वारा टैक्स के रूप में काफी पैसे की वसूली की जाती है, फिर भी सुविधाओं के नाम पर बात अटक जाती है. नगरवासियों की परेशानी से नगर निगम को कोई मतलब ही नहीं है. हर तरफ गंदगी का अंबार लगा है, परंतु सफाई नहीं होती.
चंद्रमा सिंह, नगरवासी
लगातार सफाई करायी जा रही है. डस्टबीन की भी व्यवस्था की गयी है. जो कमी है, उसमें सुधार का प्रयास किया जा रहा है. बरसात को लेकर कचरों के उठाव में परेशानी आ रही है.
प्रमोद कुमार, नगर आयुक्त
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