आक्रोश. भोजपुरी की पढ़ाई बंद होने की खबर से बौखलाये भोजपुरवासी
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सोशल मीडिया पर भी छिड़ी जंग
आक्रोश. भोजपुरी की पढ़ाई बंद होने की खबर से बौखलाये भोजपुरवासी सांसद आरके सिंह ने कहा, हर हाल में होगी भोजपुरी की पढ़ाई आरा : भोजपुरी की पढ़ाई बंद होने के बाद मचे घमासान में कई सामाजिक संगठनों, छात्र संगठनों, बुद्धिजीवियों व समाजसेवी से लेकर हर किसी की जुबान पर भोजपुरी बचाने के लिए एक […]
सांसद आरके सिंह ने कहा, हर हाल में होगी भोजपुरी की पढ़ाई
आरा : भोजपुरी की पढ़ाई बंद होने के बाद मचे घमासान में कई सामाजिक संगठनों, छात्र संगठनों, बुद्धिजीवियों व समाजसेवी से लेकर हर किसी की जुबान पर भोजपुरी बचाने के लिए एक जंग सी छिड़ गयी है. ऐसा लग रहा है कि जैसे सभी की पहचान ही छिन गयी है. शायद इसी वजह से सोशल मीडिया से लेकर धरातल तक योजनाएं बननी चालू हो गयी है. सोशल मीडिया पर फेसबुक पर खांटी भोजपुरिया भूमिपुत्र का जंग, आखर और वाटसएप ग्रुप भोजपुरी के लिए जंग बन गये हैं. जिन पर सैकडों लोगों की प्रतिक्रियाएं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में भोजपुरी की पढ़ाई बंद होने पर आनी शुरू हो चुकी है.
यहीं नहीं, वाट्सएप के इसी ग्रुप का कमाल है कि आज कुछ लोग इस विषय पर स्थानीय सांसद आरके सिंह से भी मिले और भोजपुरी को बचाने के लिए ज्ञापन सौंपा. आगामी योजनाओं में भोजपुर के तमाम जनप्रतिनिधियों को जोड़ने की योजना भोजपुरी को बचाने के लिए चल रही है, ताकि राजभवन, राज्य सरकार और विवि पर दबाव बनाया जा सके और इसकी पढ़ाई पुन: शुरू हो जाये. स्थानीय परिसदन में बुधवार को जब युवा रंगकर्मियों ने सांसद आरके सिंह को भोजपुरी को बचाने के लिए ज्ञापन सौंपा, तो सांसद ने कहा कि हर हाल में इसकी पढ़ाई होगी. संविधान की आठवीं अनुसूची में भी दर्ज कराने के लिए संकल्पित हूं.
सोशल मीडिया पर प्रभात खबर में छपी खबर की हो रही प्रशंसा
भोजपुरी को बचाने के लिए आरा के रंगकर्मियों, छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ता और युवाओं को जोड़ते हुए रंगकर्मी ओपी पांडेय ने वाट्सएप पर एक ग्रुप बनाया है, जिसका नाम रखा गया है- भोजपुरी के लिए जंग. यह ग्रुप महज एक दिन पहले बना है. इस ग्रुप में बुधवार को प्रभात खबर में छपी खबर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में भोजपुरी की पढ़ाई बंद और विभाग तो बनाया गया, लेकिन मान्यता लेना जरूरी नहीं समझा, शीर्षक वाली खबर पोस्ट की गयी, जिस पर सभी ने अपनी बातों को रखा. सभी खबर की प्रशंसा करते दिखे. इस पर सदस्यों ने अपनी बातें भी अपनी रखी.
क्या कहते हैं भोजपुरी भाषी
भोजपुरी के साथ ये सौतेलापन व्यवहार है. सभी जिलों और राज्यों में उनकी क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई पर विशेष जोर होता है, तो भोजपुरी पर जोर क्यों नहीं? भोजपुरी भाषा ही नहीं रहेगी तो भोजपुरी सिनेमा का भी अस्तित्व समाप्त ही समझिये.
श्यामली श्रीवास्तव, भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री
25 वर्षों बाद जो कुछ हुआ, वह कहीं न कहीं कई तरह के सवाल खड़े करते हैं. राज्य सरकार के पैसे से भोजपुरी के नाम पर भवन का निर्माण हुआ और अब इसकी मान्यता ही नहीं कि खबर सुनकर ठेंस पहुंची है. हम इसकी लड़ाई लड़ेंगे.
ओपी पांडेय, रंगकर्मी
भोजपुरी की पढाई बंद करने के आदेश से भोजपुर वासियों को बहुत निराशा हुई है. इसके लिए विश्वविद्याल और सरकार दोनों दोषी हैं.
अविनाश कुमार, छात्र व युवा रंगकर्मी
भोजपुरी विभाग के बंद होने से छात्रों का ही सबसे ज्यादा नुकसान है. सरकार हो या विवि प्रशासन, सारे तो पैसे पाते हैं हर महीने. इनकी गलतियों से और एक दूसरे पर पल्ला झाड़ने से क्या दी गयी डिग्रियाँ मान्य होगी? हजारों और लाखों रुपये पढ़ाई में खर्च के बाद भी विद्यार्थी ऐसे हालात में कहीं के नहीं रहते. भोजपुरी को जल्द से शुरू करना चाहिए.
अपूर्वा श्रीवास्तव, वीकेएसयू की छात्रा
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