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डूब गया मुक्तिधाम, अंत्येष्टि के लिए नहीं बची दो गज जमीन

बाढ़ के पानी में डूबा श्मशान घाट. आरा : कहते हैं हिंदू धर्म में मरणोपरांत मुक्ति के लिए दाह संस्कार जरूरी है. पार्थिव शरीर को अग्नि में समर्पित होने के लिए एक पवित्र स्थान की आवश्यकता होती है, जिसे मुक्तिधाम कहा जाता है यानी श्मशान घाट. बाढ़ की विभीषिका ने गांगी स्थित मुक्तिधाम पर ऐसा […]

बाढ़ के पानी में डूबा श्मशान घाट.

आरा : कहते हैं हिंदू धर्म में मरणोपरांत मुक्ति के लिए दाह संस्कार जरूरी है. पार्थिव शरीर को अग्नि में समर्पित होने के लिए एक पवित्र स्थान की आवश्यकता होती है, जिसे मुक्तिधाम कहा जाता है यानी श्मशान घाट. बाढ़ की विभीषिका ने गांगी स्थित मुक्तिधाम पर ऐसा कहर बरपाया कि अपने साथ लाये संबंधी के शव को परिजन वापस लेते गये. मुक्तिधाम गांगी में वर्तमान में दाह-संस्कार पूरी तरह बंद है, जिसके कारण परिजन शव को आरा से बाहर ले जाकर घाटों पर दाह संस्कार कर रहे हैं. पिछले पांच दिनों से बाढ़ ने भोजपुर जिले में तबाही मचा रखी है.
बाढ़ का पानी तेजी से फैलते हुए शनिवार को पूरी तरह से गांगी पर पहुंचा और पहले खेत, फिर मकानों को डूबोने लगा. इसके बाद मुक्तिधाम को भी अपने आगोश में ले लिया. मुक्तिधाम में बने मां काली के मंदिर की सीढ़ियों तक पानी पहुंचा. रविवार को तो इसका अलग ही रूप देखने को मिला. बाढ़ के पानी में पूरी तरह मुक्तिधाम डूब गया. शनिवार की सुबह तक एक-दो दाह संस्कार हुआ, लेकिन उसके बाद रविवार को चारों तरफ लबालब पानी भरने की वजह से रास्ता पूरी तरह बंद हो गया. किसी तरह पानी में पैर रखकर रविवार की सुबह उदवंतनगर से दर्जनों ग्रामीण मुक्तिधाम के मुख्य द्वार पर पहुंचे और चारों तरफ लबालब पानी देख, वापस लौट गये. बता दें कि पूरे जिले भर के लोग गांगी स्थित श्मशान घाट में ही अपने परिजनों को मुक्ति दिलाने के लिए दाह संस्कार करने आते हैं और उन्हें अग्नि में प्रवाहित करते हैं. श्मशान घाट में पानी घुसने की वजह से शव का दाह संस्कार नहीं हो पा रहा है.
उदवंतनगर से शव के साथ बैरंग लौटे परिजन

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