पंचायतों को वर्ष में दो बार ऑडिट कराना है अनिवार्य
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बेकार मनरेगा कर्मी होंगे बरखास्त जिला प्रशासन ने ईजाद की नयी तकनीक
पंचायतों को वर्ष में दो बार ऑडिट कराना है अनिवार्य आरा : जिला प्रशासन ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन और जॉब कार्डधारियों को रोजगार मुहैया कराने में पिछड़ने के बाद बेकार मनरेगा कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाने और बेहतर कर्मियों को सम्मान देने की तकनीक का ईजाद किया है. बावजूद […]
आरा : जिला प्रशासन ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन और जॉब कार्डधारियों को रोजगार मुहैया कराने में पिछड़ने के बाद बेकार मनरेगा कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाने और बेहतर कर्मियों को सम्मान देने की तकनीक का ईजाद किया है. बावजूद इसके मनरेगा योजना में एमआइएस और डाटा बेस अपडेट करने की स्थिति में प्रगति अच्छी नहीं है. मनरेगा योजना का सबसे दिलचस्प पहलु यह है कि जिले में योजना में काम कोई और मजदूरी का भुगतान किसी और मजदूर के खाते में किया जाता है.
ऐसे ही कई मामलों को लेकर गत वर्ष मनरेगा में कई पंचायतों के मुखिया और पंचायत रोजगार सेवकों के विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है. इधर हाल ही में जिला कार्यक्रम समन्वयक ने जिले के सभी पंचायत रोजगार सेवकों, तकनीकी सहायकों और जेइ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने सभी पंचायतों में मजदूरी पर निर्भर गरीब परिवारों को मनरेगा के तहत सौ दिनों का रोजगार दिलाने को लेकर कई बार आदेश और निर्देश दे चुका है.
फिर भी पंचायतों में न तो सामाजिक अंकेक्षण कराया जा रहा है और न ही ऐसे परिवारों को सौ दिनों का रोजगार ही उपलब्ध कराया जा रहा है. कहने के लिए तो सरकार और प्रशासन के निर्दैश के अनुरूप मनरेगा के तहत सभी पंचायतों में साल में दो बार सोशल ऑडिट की औपचारिकताएं पूरी करने की खानापूरी कर ली जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल इसके उलट है. विदित हो कि जिले में जुलाई माह में 24058 मजदूरों को इसके तहत रोजगार दिया गया है. वहीं 157 परिवारों को सौ दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया है.
मनरेगा के सरकारी आंकड़े चौंकानेवाले : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के जुलाई माह के सरकारी आंकड़े चौंकानेवाले प्रतीत होते हैं. जिले में 326614 निबंधित जॉब कार्डधारियों में 26609 परिवार और 40664 मजदूरों द्वारा रोजगार की मांग की गयी है. इसमें 26606 परिवार और 40655 मजदूरों को ऑफर दिया गया है. जो जमीनी हकीकत से दूर के साथ-साथ चौंकानेवाले भी हैं, क्योंकि जब 40664 मजदूरों ने रोजगार की मांग की, तो फिर 40665 मजदूरों को ऑफर किस आधार पर दिया गया. इसमें 24058 मजदूरों को रोजगार दिया गया है.
योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही बरदाश्त नहीं : राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही कतई बरदाश्त नहीं की जायेगी. वहीं अनियमितता बरतनेवाले कर्मियों को अब सीधे बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा.
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