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होता रहा बालू का उत्खनन मूकदर्शक बनी रही पुलिस

अभियान . 30 फुट नीचे उतरना पुलिस के लिए नहीं था संभव आरा/पटना : बालू उत्खनन करने वालों को किसी प्रकार का खौफ नहीं है. एसएसपी व अन्य पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस टीम जब दियारा में पहुंची, तो पाया कि कई जगहों पर नाव लगा कर अवैध रूप से बालू उत्खनन हो रहा […]

अभियान . 30 फुट नीचे उतरना पुलिस के लिए नहीं था संभव

आरा/पटना : बालू उत्खनन करने वालों को किसी प्रकार का खौफ नहीं है. एसएसपी व अन्य पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस टीम जब दियारा में पहुंची, तो पाया कि कई जगहों पर नाव लगा कर अवैध रूप से बालू उत्खनन हो रहा है. पोकलेन से बालू की निकासी की जा रही है. कई जगहों पर पोकलेन को तो जब्त कर लिया गया, लेकिन काफी नीचे हो रहे उत्खनन को रोकना पुलिस के लिए मुश्किल था. वे आराम से उत्खनन कर रहे थे और पुलिस को देखने की मजबूरी थी. जमीन से तीस फुट नीचे सोन नदी में उत्खनन हो रहा था और वहां से नीचे उतरना संभव नहीं था.
केवल नदी के रास्ते ही वहां तक पहुंचा जा सकता है.
बताया जाता है कि यहां से उत्खनन कर नाव से बालू को छपरा के डोरीगंज घाट पर पहुंचा दिया जाता है और फिर वहां से बिक्री करने के लिए भेज दिया जाता है. इसमें पुलिस के समक्ष यह मजबूरी थी कि अगर पुलिस किसी प्रकार की कार्रवाई करती, तो कई लोगों की जान जा सकती थी. गोली चलती तो अनहोनी हो सकती थी. इसके साथ ही अगर सोन नदी में स्टीमर से भी पीछा किया जाता, तो वे लोग नदी में कूद कर निकल सकते थे या फिर अपनी जान गंवा सकते थे. इसके कारण यह भी मुमकिन नहीं थी. वहां पुलिस पोस्ट खोल कर अवैध खनन को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन वह इलाका ऐसा है कि पुलिस पोस्ट बनाना व जवानों की तैनाती करना भी खतरे से खाली नहीं है.
जहां से ट्रकों में लादा जाता है बालू, उन घाटों पर चलेगा अभियान
एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि आरा पुलिस के साथ मिल कर वैसे घाटों पर ही अभियान चलाया जायेगा, जहां से नाव से बालू लाने के बाद ट्रकों में भरा जाता है और फिर बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है.
क्षत्रनील सिंह योजना बना रहे हैं कि बालू माफियाओं को सड़क पर रोका जाये. आमतौर पर नदी से बालू निकालने के बाद पटना, आरा या छपरा में किसी न किसी घाट पर उसे ट्रक या ट्रैक्टर में भरते हैं और फिर बाजारों में बेचने के लिए जाते हैं. अब पुलिस उन घाटों पर ही नाकेबंदी कर देगी, जहां से फिलहाल ये लोग ट्रक या ट्रैक्टरों में भरते हैं. प्रतिदिन मनेर, बिहटा व आरा के कई घाटों से बालू को ट्रक में भरते हुए आसानी से देखा जा सकता है.
पुलिस की योजना है कि अगर वहीं पर इन लोगों को पकड़ लिया जाये, तो खुद-ब-खुद नदी से बालू का अवैध रूप से उत्खनन बंद हो जायेगा. क्योंकि वह बाजार में पहुंच ही नहीं पायेगा और इसमें पुलिस काे ज्यादा रिस्क भी नहीं है. इसके साथ ही बीच में कहीं भी सड़क पर भी चेकिंग कर पकड़ा जा सकता है. अगर अवैध होगा तो उनके पास किसी प्रकार का कागजात मौजूद नहीं होगा और वे आसानी से पकड़े जायेंगे.

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