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साहब हमार जिंदगी बचा लेनी रऊरा

मिला लाभ . नशा विमुक्ति केंद्र में 124 मरीजों का अब तक हुअा इलाज 11 मरीजों को नशा मुक्ति केंद्र के चिकित्सकों ने दिया नया जीवन आरा : गत पांच मई की बात थी तब एमपी बाग के रहनेवाले 25 वर्षीय निरचंद राम को उसके परिजन नशा छुड़ाने के लिए सदर अस्पताल में लाये और […]

मिला लाभ . नशा विमुक्ति केंद्र में 124 मरीजों का अब तक हुअा इलाज

11 मरीजों को नशा मुक्ति केंद्र के चिकित्सकों ने दिया नया जीवन
आरा : गत पांच मई की बात थी तब एमपी बाग के रहनेवाले 25 वर्षीय निरचंद राम को उसके परिजन नशा छुड़ाने के लिए सदर अस्पताल में लाये और नशा मुक्ति केंद्र में भरती कराया. इलाज के दौरान जैसे-जैसे निरचंद ठीक होता गया, वैसे-वैसे उसकी आंखों में आंसू आ गये. चंद दिनों में चिकित्सकों व कर्मियों की देखरेख में वह बिल्कुल ठीक हो गया. नशा मुक्ति केंद्र से जाते-जाते चिकित्सक से बोल उठा, साहब रऊरा हमार जिंदगी बचा लेनी. हम इ एहसान कैसे चुकाइव और फफक- फफक कर रोने लगा. यह सदर अस्पताल में बने नशा मुक्ति केंद्र की हकीकत है, यहां अब तक जितने भी मरीज आये, सभी की स्थिति में कुछ- न- कुछ सुधार हुआ है या फिर वह पूरी तरह स्वस्थ हुए.
नशा मुक्ति केंद्र में चार चिकित्सक कार्यरत
चार चिकित्सक सदर अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करते हैं. फिलवक्त डॉक्टर प्रवीण, डॉक्टर अशोक कुमार, डॉक्टर एम अहमद और डॉक्टर सुधीर की देखरेख में नशा सुधार के लिए आये मरीजों का इलाज चल रहा है.
लगातार हो रही मरीजों की संख्या में कमी
चार माह में अब तक 124 मरीजों का नशा मुक्ति केंद्र में इलाज हुआ, जिनमें से 11 मरीज को भरती किया गया और सभी 11 मरीज पूर्ण स्वस्थ होने के बाद अपने- अपने घर चले गये. सदर अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में गत पांच मई को अंतिम मरीज नीरचंद राम को भरती कराया गया था, जो शराब के नशे का आदी था. इसके बाद किसी मरीज को भरती नहीं किया गया. अंतिम तीन मरीज को ओपीडी में दिखाने के बाद अस्पताल के चिकित्सकों ने काउंसेलिंग कर नशा छुड़ाने में पूरी मदद की. अंतिम रूप से तीन मरीजों का इलाज किया गया, जिनमें एमपी बाग के मुन्ना, दशरथ सहानी तथा हीरोइन के आदि हो चुके सोनू रजक का इलाज हुआ. इसके बाद उन्हें घर जाने दिया गया.
नये मरीज का इंतजार
अभी लगा है ताला
नशा मुक्ति केंद्र में कितने नशा मुक्ति केंद्र में ताला लगा हुआ है, क्योंकि नशे से जुड़े मरीजों का अभी यहां आना न के बराबर है. इसके पीछे अस्पताल प्रशासन यही कह रहा है कि सब लोग नशे को छोड़ चुके हैं.

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