पुस्तकालय की किताबों को संरक्षित करने के बाद अब पांडुलिपियों व प्राचीन ग्रंथों पर एमयू प्रशासन का ध्यान केमिकल ट्रीटमेंट के सहारे जल्द शुरू होगा संरक्षण का काम बोधगया.
मगध विश्वविद्यालय कैंपस में शिक्षा में बेहतरी लाने के प्रयासों के तहत अब कैंपस स्थित मन्नूलाल केंद्रीय पुस्तकालय में वर्षो से धूल फांक रही दुर्लभ पांडुलिपियों को संरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी गयी है. करीब 250 से ज्यादा की संख्या में यहां मौजूद पाडुलिपियों व धार्मिक ग्रंथों में केमिकल ट्रीटमेंट के सहारे फिर से नवजीवन डालने का प्रयास किया जा रहा है. एमयू प्रशासन इसकी तैयारी शुरू कर दी है व जल्द ही इस दिशा में काम शुरू हो जायेगा. पुस्तकालय में भोजपत्र पर लिखी गयी सैकड़ों पांडुलिपी मौजूद हैं. हालांकि, उसे सुरक्षित स्थानों पर रखी गयी है. लेकिन, समय बीतने के साथ ही उन पर दीमकों व अन्य कीटों का प्रकोप भी हावी होने लगा है. इसके कारण उनके अस्तित्व भी मिटने के कगार पर है. पुस्तकालय में रामायण, महाभारत, वेद-कुअरान आदि कई धर्मग्रंथ मौजूद हैं.
इनके संरक्षण के लिए उपाय किये जा रहे हैं व उसे एमयू के छात्र-छात्राओं के साथ ही आम पाठकों के लिए तैयार किया जा रहा है. एमयू स्थित पुस्तकालयों की देखभाल के तरीके बताने व उसे बेहतर ढंग से सजाने-संवारने के लिए नैक की टीम के आने से पहले एमयू प्रशासन ने दिल्ली से लाइब्रेरियन डॉ एमएमए अंसारी को एमयू बुलाया था. उन्होंने मन्नूलाल पुस्तकालय के साथ ही विभिन्न पीजी विभागों के पुस्तकालयों को दुरुस्त करने में काफी अहम भूमिका निभायी है. अब एमयू प्रशासन डॉ अंसारी के माध्यम से यहां मौजूद दुर्लभ पांडुलिपियों व धार्मिक ग्रंथों की संरक्षण की जिम्मेवारी सौंपी है. डॉ अंसारी ने बताया कि बरबाद होते पांडुलिपियों व ग्रंथों को केमिकल ट्रीटमेंट के माध्यम से दुरुस्त किया जायेगा.
इस बारे में एमयू के कुलसचिव डॉ सुशील कुमार सिंह ने बताया कि एमयू के पास दुर्लभ धरोहर के रूप में कई ग्रंथ व पांडुलिपी हैं. इनकी हिफाजत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि इससे छात्र-छात्रएं, शोधार्थी व आम पाठक भी लाभ उठा सकेंगे. संरक्षण का काम जल्द ही शुरू करा दिया जायेगा.