आरा : जिनके हाथों में सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वही अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. जिले में रह रहे पुलिसकर्मियों को जाड़ा, गर्मी व बरसात सब दिन परेशानी झेलनी पड़ती है. बरसात में छत से पानी टपकता है, ठंड के दिनों में टूटी हुई खिड़कियों से सर्द हवा आती है, गर्मी के दिनों में लू के थपेड़े झेलना इनकी नियती बन चुकी है. टूटे व जर्जर भवनों के कारण हमेशा हादसे का भय बना रहता है. विगत 15 वर्षों से पुलिस लाइन में बने भवनों का मरम्मत नहीं हुई है, जिससे यह स्थिति बनी हुई है. बता दें कि जिले के 22 लाख लोगों की सुरक्षा के जिम्मेदारी इनके कंधों पर है, लेकिन सुरक्षा करनेवाले प्रहरी खुद ही असुरक्षित हैं.
गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने पड़ताल की तो पुलिस कर्मियों ने अपनी व्यथा सुनायी. पुलिस कर्मियों का कहना था कि भवन तो बड़ा है लेकिन इसमें रहना मुश्किल है. पुलिस लाइन के बैरक में 200 से अधिक सिपाहियों का रैन बसेरा है, लेकिन उसमें बिजली व पानी की व्यवस्था नहीं है. भवन में बने शौचालय टूटे-फूटे हैं. ठंड व बरसात के दिनों में पुलिस कर्मियों को बाहर जाना पड़ता है, जो रास्ता भी टूटा-फूटा है. चारों तरफ जंगल का नजारा बना हुआ है. बरसात के दिनों में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
भेड़-बकरियों की तरह रह रहे हैं पुलिसकर्मी : भवन के जर्जर व टूट जाने के कारण किसी तरह अपनी ड्यूटी बजाने के लिए मजबूर हैं पुलिस कर्मी. भवन टूटने के कारण उनके रहने की समस्या उत्पन्न हो गयी है, जिसके कारण बैरक में भेड़-बकरियों की तरह बेड लगाकर रह रहे हैं. पुलिस कर्मियों का कहना है कि भवन के टूट जाने के कारण भवन को खाली करा दिया गया है, जिसके कारण यह परेशानी हो रही है. कुछ लोग तो किराये के मकान में रहकर काम कर रहे हैं.
वहीं, कुछ लोग इसी व्यवस्था में जीने को मजबूर हैं.
बिजली-पानी की भी नहीं है समुचित व्यवस्था : भवन तो है बिजली भी है लेकिन भवनों में वायरिंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण पुलिसकर्मियों को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे-तैसे तार लटका हुआ है, जिससे दुर्घटना की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है. भवन में पानी की उचित व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण चापाकल के सहारे काम चलाया जाता है.
पुलिस क्वार्टर में पानी व रास्ते की नहीं है व्यवस्था : पुलिस कर्मियों को सरकार द्वारा दिये गये आवास में भी पानी व रास्ते का व्यवस्था नहीं होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं व बच्चों को होता है. बरसात के दिनों में सड़क टूट जाने के कारण सड़कों पर पानी लग जाता है, जिससे आवागमन में परेशानी होती है. पानी से होकर ही घर तक आना-जाना पड़ता है.
महिला सिपाहियों को होती है सबसे ज्यादा परेशानी : महिला सिपाहियों के लिए बैरक की व्यवस्था नहीं है. पुलिस लाइन में एक छोटा-सा बैरक है, जिसमें किसी तरह से पांच से छह महिला पुलिसकर्मी गुजर-बसर कर रही हैं. हालांकि महिलाओं के लिए अलग बैरक की व्यवस्था की गयी है, लेकिन वह अभी चालू नहीं है. जिले में 300 से ऊपर महिला सिपाही की पदस्थापना है.
क्या कहते हैं अधिकारी
टूटे एवं जर्जर भवन के निर्माण के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है. तोड़वाकर नया भवन बनवाया जायेगा. इसको लेकर पुलिस भवन निर्माण को पत्र लिख गया है.
अवकाश कुमार, एसपी
भवन टूट जाने के कारण काफी परेशानी होती है. काफी दिनों से भवनों की मरम्मत नहीं हुई है. आलाधिकारी आश्वासन तो देते हैं, पर जमीन स्तर पर कोई काम नहीं होता है.
दिनेश कुमार, सिपाही
कई बार विभाग को सूचना दी गयी है, लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. हालांकि वरीय पदाधिकारी इस समस्या को लेकर मुख्यालय को रिपोर्ट भेज चुके हैं.
विशाल कुमार, कोषाध्यक्ष, पुलिस मेंस एसोसिएशन
15 वर्षों से सरकारी भवनों की मरम्मत नहीं होने के कारण यह परेशानी है. प्रतिमाह 2500 रुपये आवास भत्ता कट रहा है, लेकिन भवनों की मरम्मत नहीं हो रही है.
पार्वती कुमारी, सिपाही
सरकारी आवास में पानी, रास्ता व भवन के जर्जर होने की समस्या है, लेकिन विभाग द्वारा इसकी मरम्मती नहीं करायी जा रही है. किसी तरह से स्वयं मरम्मत कर लोग रह रहे हैं.
मीना कुमारी, सिपाही