आरा : जिले में शौचालय निर्माण को लेकर लोगों के सपने टूटने लगे हैं. लक्ष्य के लगभग एक चौथाई ही शौचालयों का निर्माण अब तक जिले में हो पाया है. केंद्र व राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण योजनाओं में स्वच्छता योजना एक है. खुले में शौच को लेकर दोनों सरकारें काफी संजीदगी से अभियान चला रही […]
आरा : जिले में शौचालय निर्माण को लेकर लोगों के सपने टूटने लगे हैं. लक्ष्य के लगभग एक चौथाई ही शौचालयों का निर्माण अब तक जिले में हो पाया है. केंद्र व राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण योजनाओं में स्वच्छता योजना एक है. खुले में शौच को लेकर दोनों सरकारें काफी संजीदगी से अभियान चला रही हैं. वहीं शौचालय निर्माण को लेकर राशि भी दी जा रही है.
इसके लिए प्रचार अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. वहीं कर्मियों व पदाधिकारियों को गांव स्तर तक इसके लिए सक्रिय किया गया है. इन सबके बावजूद जिला शौचालय निर्माण में लक्ष्य से काफी पीछे है.
87 हजार शौचालय का था लक्ष्य : मार्च, 2018 तक सरकार ने 87 हजार शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा है, पर शौचालय निर्माण की धीमी प्रगति से लक्ष्य पूरा होगा या नहीं, यह आनेवाला समय ही बतायेगा. नवंबर तक महज 23 हजार ही शौचालयों का निर्माण हो पाया है. इनमें सभी शौचालयों का पूरी तरह निर्माण नहीं हो पाया है. कई शौचालयों में आधा-अधूरा काम ही हो पाया है. प्रशासन के समक्ष यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
स्वच्छता अभियान में ओडीएफ का है महत्वपूर्ण स्थान : भारत स्वच्छ मिशन व लोहिया बिहार स्वच्छता अभियान को सरकार ने सबसे महत्वपूर्ण अभियान के तहत लिया है, ओडीएफ के बगैर स्वच्छता अभियान पूरा नहीं हो सकता है.
लक्ष्य था 87 हजार शौचालय का, बना 23 हजार
जिला मुख्यालय भी नहीं बन पाया है ओडीएफ
अब तक जिला मुख्यालय आरा भी पूरी तरह ओडीएफ नहीं हो पाया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कहने को नगर के 42 वार्ड ओडीएफ हो चुके हैं, पर धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है. नगर की कई सड़कों के किनारे रात में शौच करते लोग मिल जायेंगे. नगर की घनी आबादी में ऐसा देखने को मिल रहा है. जबकि नगर निगम के बाहरी वार्डों की स्थिति तो काफी दयनीय है. अनाईठ, चंदवा, रामनगर, सिंगही, बहिरो, श्रीटोला, आनंद नगर, मझौंवा, कृष्णानगर, बेगमपुर, अहिरपुरवा सहित कई ऐसे मुहल्ले हैं, जहां सड़कों के किनारे शौच करते महिला-पुरुषों को देखा जा सकता है.