भागलपुर: शहर के विभिन्न 51 वार्डों में नगर निगम का चुनाव प्रचार थम चुका है. एक माह से चल रहे चुनाव प्रचार में अधिकतर वार्ड का विकास व मूलभूत समस्या को मुद्दा नहीं बनाया गया. प्राय: सभी जगह जाति, बिरादरी, भाई-भतीजावाद, दलगत सोच को आधार बनाकर प्रत्याशी क्षेत्र में वोट का समीकरण तैयार करते रहे. असली मुद्दे कहीं नहीं दिखे. सभी किसी न किसी तरह बस पार्षद बनने की जुगत लगाते रहे. कुछेक क्षेत्र में प्रत्याशी के पंपलेट में वार्ड के विकास की बात की गयी, लेकिन अंदरखाने में कार्यकर्ताओं व सगे-संबंधियों के साथ जाति, धर्म, संबंध, पैसा व दलगत को आधार बनाने की चर्चा होती रही.
कूड़े-कचरे की समस्या गंभीर
नगर निगम को घर-घर से कचरा उठाना, उसकी ढुलाई करना और प्रतिदिन सड़कों की सफाई करना है. इसके साथ-साथ उठाये गये कचरे का प्रसंस्करण व निष्पादन की भी पूरी जिम्मेवारी है.
मुख्य शहर में होता है जलजमाव
शहर के मुख्य हिस्सा आदमपुर, वेराइटी चौक, मारवाड़ी टोला लेन, रिकाबगंज, मुंदीचक, समेत परबत्ती, कंपनीबाग आदि मोहल्ले में ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं है. इससे थोड़ी बारिश में जलजमाव की समस्या हो जाता है.
पानी की समस्या
शहर का दो हिस्सा गंगा के किनारे है. शहर में बड़ी-बड़ी बोरिंग व पानी टावर लगाये गये हैं. फिर भी कोई ऐसा वार्ड नहीं, जो पेयजल संकट से पूरी तरह मुक्त हो. हरेक जगह लोगों को शुद्ध पेयजल से वंचित रहना पड़ता है. गरमी बढ़ने पर हाहाकार की स्थिति हो गयी है.
शहर में ऊबड़-खाबड़ सड़क
शहर के विभिन्न क्षेत्र में सड़क बनी है, लेकिन थोड़े दिन में ही जर्जर हो गयी. इसमें जनप्रतिनिधि हो या अन्य लोगों का ध्यान नहीं है. नगर निगम चुनाव में भी इन मुद्दे को अधिक महत्व नहीं मिला है.
शाैचालय का अभाव
शहर के विभिन्न मोहल्ले में सुलभ शौचालय का अभाव है. लोग अब भी सड़क किनारे पेशाब करते हैं और आर्थिक रूप से पिछड़े लोग नाला में शौच. खासकर बाजार क्षेत्र वाले वार्ड में भी शौचालय की सुविधा नहीं दी गयी है.
इन मुद्दे पर देना था प्रत्याशियों काे ध्यान
शहर में रहनेवाले लोग कूड़े-कचरे से परेशान हैं. नालों के जाम होने की समस्या में अब तक सुधार नहीं हो पाया है. जलापूर्ति के पाइपलाइन में लिकेज की समस्या को लेकर शहर के विभिन्न सड़क मार्गों पर महीने में कई बार मरम्मत के लिए खोदा जाता है. इस कारण तो जलजमाव की समस्या रहती ही है, नालों के जाम रहने से भी नाले की गंदगी सड़कों पर बहती रहती है. फिर भी कहीं भी इन मुद्दों पर प्रत्याशी का अधिक ध्यान नहीं रहा. लोहापट्टी, सूता पट्टी सालों भर इस समस्या से परेशान रहती है. शहर का सबसे भीड़ वाली जगह लोहिया पुल के नीचे कूड़े का नियमित उठाव नहीं होता है.