भागलपुर: इस बार के लोकसभा चुनाव में दिलचस्प नजारा देखने को मिलेगा. पिछले कई लोकसभा व विधानसभा चुनाव साथ मिल कर लड़नेवाला भाजपा व जदयू इस लोकसभा चुनाव में आमने-सामने होगा. राजद व कांग्रेस अलग-अलग मैदान में था, लेकिन इस बार साथ मिल कर लड़ने की संभावना जतायी जा रही है. हालांकि अभी तक गंठबंधन का कोई औपचारिक एलान नहीं हुआ है.
पिछले चुनाव में राजद व लोजपा साथ- साथ था, लेकिन इस बार कैसी स्थिति बनती है यह अब तक तय नहीं है. इस बार गंठबंधन की जो स्थिति बन रही है, उसमें यही कयास लगाया जा सकता है कि सभी दलीय प्रत्याशियों को काफी मेहनत करना होगा. कोसी व पूर्व बिहार में किसी भी दलीय प्रत्याशी के लिए जीत दर्ज कराना आसान नहीं होगा. लोकसभा चुनाव की अभी तक अधिसूचना तो जारी नहीं हुई है, लेकिन चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
कोसी व पूर्व बिहार की कुल 11 लोकसभा सीटों में से पांच पर जदयू, चार पर भाजपा तथा एक पर कांग्रेस का कब्जा है. बांका से पुतुल कुमारी थीं, तो निर्दलीय सांसद लेकिन अब उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है. पिछला लोकसभा चुनाव भाजपा और जदयू ने मिल कर लड़ा था और 11 में से 9 सीट पर उसे सफलता मिली थी.
भाजपा के सभी चारों प्रत्याशी विजयी हुए थे, लेकिन जदयू को 7 में से पांच सीट पर ही सफलता मिली थी. बांका व किशनगंज सीट पर जदयू प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार दिये थे तथा कटिहार में राकांपा को व पूर्णिया में निर्दलीय प्रत्याशी शांतिप्रिया को समर्थन दिया था. कांग्रेस को सिर्फ एक सीट किशनगंज पर सफलता हाथ लगी. राजद व लोजपा ने मिल कर चुनाव लड़ा था. राजद ने 7 तथा लोजपा ने चार सीटों पर अपना प्रत्याशी दिया था, लेकिन दोनों दलों का खाता नहीं खुल सका. बांका सीट पर निर्दलीय दिग्विजय सिंह जीते थे. लेकिन उनके निधन के बाद रिक्त सीट पर उनकी पत्नी पुतुल कुमारी निर्दलीय मैदान में उतरी तथा विजयी रहीं. इस चुनाव में भाजपा, जदयू ने उनका समर्थन किया था.