भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रओं के सामने एक बार फिर बड़ी मुश्किलों खड़ी होगी. स्नातक के तीनों खंडों की वर्ष 2013 में हुई परीक्षा का रिजल्ट प्रकाशित नहीं हो पाया है और वर्ष 2014 की परीक्षा सामने आ चुकी है.
पार्ट थ्री के छात्रों का रिजल्ट प्रकाशित नहीं होने के कारण न तो विश्वविद्यालय पीजी फस्र्ट सेमेस्टर में नामांकन तिथि घोषित कर पा रहा है और न ही नामांकन की बात छात्र-छात्राएं सोच पा रहे हैं. इस विकट स्थिति का सामना केवल 10 या 20 हजार छात्रों के साथ नहीं, बल्कि लगभग एक लाख 54 हजार विद्यार्थियों को करना पड़ रहा है. नियमत: जुलाई से नया सत्र शुरू हो जाना चाहिए.
विश्वविद्यालय सूत्रों की माने तो पार्ट वन की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य पूरा हो चुका है. पार्ट टू ऑनर्स पेपर के सैद्धांतिक व प्रायोगिक विषयों का मूल्यांकन कार्य समाप्त हो चुका है. पार्ट टू के सब्सिडियरी पेपर के लिए परीक्षकों को विश्वविद्यालय ने पत्र जारी ही किया था कि शिक्षकेतर कर्मचारियों की हड़ताल शुरू हो गयी. इससे सब्सिडियरी पेपरों का मूल्यांकन बीच में ही लटक गया. पार्ट थ्री की कॉपियां शुरू में विश्वविद्यालय ने बाहर के शिक्षकों से जंचवानी शुरू की, लेकिन लेट लतीफी पर विश्वविद्यालय ने अपने ही शिक्षकों को मूल्यांकन की जिम्मेवारी सौंप दी.
पार्ट थ्री के चार में से तीन पेपर का मूल्यांकन पूरा हो चुका है. चौथे पेपर का मूल्यांकन होना ही था कि कर्मचारियों की हड़ताल हो गयी . इसके कारण इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान सरीखे विषयों का मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है. विश्वविद्यालय के बेहतर हालात वाले वर्षो को याद करें, तो फरवरी में परीक्षा के छात्र-छात्राएं फॉर्म भर देते थे. मार्च से परीक्षाएं शुरू हो जाती थीं. जून में रिजल्ट मिलता था और जुलाई से नया सत्र शुरू हो जाता था. अभी स्थिति यह है कि छात्र-छात्रओं को वर्ष 2013 का रिजल्ट ही नहीं मिल पाया है. फिर 2014 की परीक्षा, रिजल्ट और फिर नामांकन की अभी उम्मीद करना बेमानी होगी. वर्ष 2013 की परीक्षा में पार्ट वन के लगभग 68,104, पार्ट टू के 44,259 व पार्ट थ्री के 42,509 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.
बीएड के 12 सौ परीक्षार्थियों का रिजल्ट फंसा
बीएड के सैद्धांतिक व प्रायोगिक विषयों की परीक्षा हो चुकी है. परीक्षाएं हड़ताल से बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी थी. बावजूद रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया जा सका है. रिजल्ट का इंतजार लगभग 12 सौ परीक्षार्थियों को है.
शुरुआती दौर से ही विलंब होता रहा
पूर्व कुलपति डॉ एनके वर्मा के कार्यकाल में ही पहले परीक्षा में और फिर मूल्यांकन कार्य में विलंब हुआ. बीएड की सैद्धांतिक परीक्षा दिसंबर में ही समाप्त हो गयी, लेकिन प्रायोगिक परीक्षा शुरू करने में काफी विलंब कर दिया गया. जानकार मानते हैं कि इसमें शुरू से ही गंभीरता बरती जाती, तो मूल्यांकन कार्य पर हड़ताल का असर नहीं पड़ता.