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10 % ऑटो की ही कोडिंग
ऑटो का परिचालन कोडिंग के अनुसार चलाने का निर्णय प्रशासन ने लिया है. कोडिंग के लिए रोज ऑटो चालक पहुंच रहे हैं. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए यह एक अच्छी पहल है. लेकिन दूसरी ओर इस याेजना को सफल क्रियान्वयन में कई तकनीकी परेशानियां भी सामने आ रही हैं. ऑटो चालकों की भी […]
ऑटो का परिचालन कोडिंग के अनुसार चलाने का निर्णय प्रशासन ने लिया है. कोडिंग के लिए रोज ऑटो चालक पहुंच रहे हैं. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए यह एक अच्छी पहल है. लेकिन दूसरी ओर इस याेजना को सफल क्रियान्वयन में कई तकनीकी परेशानियां भी सामने आ रही हैं. ऑटो चालकों की भी अपनी परेशानी है. परेशानियां बताते हुए कई तो रो पड़े.
नये ऑटो की नहीं हो रही कोडिंग, चार माह पहले चालान जमा करने पर भी रोड परमिट नहीं
धीरज झा
भागलपुर : नयी ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर महज 10 प्रतिशत ऑटो की ही कोडिंग हो पायी है. एेसे में कई सवाल सामने हैं. इस पूरी स्थिति का जायजा लेने का प्रयास किया गया.
स्थान-हवाईअड्डा मैदान, ऑटो कोडिंग के लिए पहुंचे थे
नाम-टिंकू महलदार : परिवार के गुजर-बसर के लिए टिंकू ने बैंक से कर्ज लेकर ऑटो खरीदा था. अगस्त में ही चालान जमा करवाने के बावजूद अभी तक उन्हें रोड परमिट नहीं मिला है. इस वजह से उनकी कोडिंग नहीं हो पा रही है. बैंकों का किस्त कैसे भरेंगे, यह सवाल टिंकू के सामने है. प्रभात खबर से बातचीत करते हुए वह रोने लगा. टिंकू ने कहा कि अब पेट भरने की नहीं किस्त चुकाने की चिंता ने उसके दिन का चैन और रात का सुकून छीन लिया है. कमोबेश यही दर्द विजय कुमार का भी है. उसने भी नया ऑटो खरीदने के बाद सितंबर में ही चालान जमा करवाया, लेकिन रोड परमिट नहीं मिल पाया है. सिर्फ टिंकू व विजय ही नहीं, पिछले छह माह के दौरान नये अॉटो खरीदने वाले अधिकांश लोगों की यही पीड़ा है. प्रशासन की शर्तों के मुताबिक ऑनर बुक, रोड परमिट, टैक्स टोकन, फिटनेस, प्रदूषण, ड्राइविंग लाइसेंस, इश्योरेंस के कागजात देने वाले ऑटो की ही कोडिंग हो सकती है. सात दस्तावेजों ने सात हजार ऑटो रिक्शा की कोडिंग नहीं होने दी. एक चौथाई ऑटो रिक्शा चालकों के पास दस्तावेज ही नहीं हैं. शनिवार को आखिरी दिन 104 ऑटो की कोडिंग हुई. सात दिनों तक चले अभियान के बावजूद महज 715 ऑटो की ही कोडिंग हो पायी.
सोमवार से नहीं उतरेंगे कोडिंग वाला ऑटो: कोडिंग वाले ऑटो को सोमवार से शहर की सड़कों पर उतारने का निर्णय लिया गया था. पर अब जिला पदाधिकारी की अगुवाई में 19 को कमेटी की बैठक बुलायी है. बैठक में मंथन के बाद ही इस बारे में कोई निर्णय लिया जायेगा.
चिह्नित रूटों पर होगा ऑटो रिक्शा का परिचालन: ऑटो शहर के 16 किमी की परिधि में नहीं बल्कि अब चिह्नित रूटों पर ही फर्राटा भरेंगे. इसके तहत 6 रूट चिह्नित किये गये हैं. सबौर से तिलकामांझी, तिलकामांझी से रेलवे स्टेशन, जगदीशपुर से गोरहट्टा चौक, बरही से स्टेशन, नवगछिया से जीरोमाइल, नाथनगर से स्टेशन तक दौड़ेंगे. कुछ रूटों के ऑटो को अलग-अलग रूट में डायवर्ट भी किया जायेगा.
रंगों से ऑटो की पहचान: अॉटो का रंग बदलेगा. नवगछिया से जीरोमाइल तक चलने वाले ऑटो का रंग लाल, बरारी से स्टेशन के लिए हरा, सबौर से तिलकामांझी पीला, तिलकामांझी से स्टेशन नीला, नाथनगर से स्टेशन तक सफेद व अलीगंज से गुड़हट्टा तक गुलाबी रंग के ऑटो में शहरवासी सफर करेंगे. भविष्य में स्कूली बच्चों को लेकर जानेवाले ऑटो भी एक रंग में दिखेंगे. अलग-अलग रूटों पर ऑटो का रंग भले ही अलग-अलग होगा पर सभी ऑटो चालक ग्रे कलर की वर्दी में नजर आयेंगे.
किराये पर देने में परेशानी : ऑटो की कोडिंग शुरू होने से किराये पर ऑटो चलाने के कारोबार पर भी ग्रहण लग जायेगा. क्योंकि कोडिंग की शर्त पर ऐसे लोग खरे नहीं उतर पायेंगे.
प्रशासन का अभियान बनेगा वरदान : प्रशासन द्वारा ऑटो कोडिंग का शुरू किया गया अभियान सुरक्षा के लिये वरदान बनेगा. कोडिंग के बाद ऑटो पर बकायदा नंबर दर्ज होगा. मान लीजिये किसी का कोई सामान ऑटो पर भूलवश रह जाता है तो वह ऑटो का नंबर पुलिस को बता कर अपना सामान वापस पा सकता है. इससे अपराध पर भी नकेल लगेगी.
क्या कहते हैं एमवीआइ: एमवीआइ गौतम कुमार बताते हैं कि ऑटो की कोडिंग आज खत्म हो गयी. सात दिनों में सात सौ से अधिक ऑटो की कोडिंग हुई. रुट चिह्नित किये जा चुके हैं. अब 19 को जिला पदाधिकारी की अगुवाई में बैठक होगी, जिसमें अगली रणनीति तैयार होगी.
भागलपुर. प्रशासन द्वारा स्मार्ट सिटी में टेंपो परिचालन के बनाये गये नये कोडिंग और निर्धारित किये गये शहरी क्षेत्र के नियम में अभी कई खामियां हैं. क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार के कार्यालय में लोग पहुंच कर शिकायत दर्ज करा रहे हैं. ऑटो चालकों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि शहरी क्षेत्र में बाहर का टेंपो प्रवेश नहीं करेगा. लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि वह कौन सा प्वाइंट होगा, जहां से शहरी क्षेत्र शुरू हो जायेगा.
यह भी नहीं बताया जा रहा है कि स्मार्ट सिटी का दायरा कहां तक होगा. कम से कम अलीगंज, सुलतानगंज, नवगछिया और सबौर की तरफ से शहर की ओर आनेवाले रास्ते पर एक स्थान का तो निर्धारण होना ही चाहिए, जहां से टेंपो चालक आगे नहीं बढ़ेंगे. ऐसा नहीं होने पर उनके ऊपर बेवजह जुर्माना लग जायेगा. टेंपो चालकों ने दूसरी समस्या यह बतायी कि बाहर के टेंपो जब शहरी सीमा पर पहुंचेंगे, तो वे टेंपो कहां लगायेंगे. अभी तक टेंपो स्टैंड तैयार नहीं है और ऐसा नहीं होने से बाद में टेंपो चालकों को ही जाम लगाने का जिम्मेवार माना जायेगा.
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