भागलपुर : अकबरनगर थाना क्षेत्र में आठ नवंबर की देर रात तत्कालीन अमरपुर थानाध्यक्ष बिरेंद्र कुमार से सर्विस रिवॉल्वर लूट मामले में नयी बातें सामने के बाद डीआइजी वरुण कुमार सिन्हा ने मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स का गठन कर दिया है. घटना वाली रात बिरेंद्र कुमार और उनके प्राइवेट ड्राइवर का मोबाइल शाम से ही बंद था.
उन्होंने कहा था कि अपराधियों ने सर्विस रिवॉल्सर के साथ ही पैसे और दोनों के मोबाइल भी छीन लिये थे. इस घटना के कुछ दिनों बाद गाड़ी के ड्राइवर का मोबाइल बरामद कर लिये जाने की बात कह उस व्यक्ति को जेल भेजने की तैयारी की जा रही थी जिसके पास से वह मोबाइल मिला था. इसकी जानकारी मिलने के बाद रेंज डीआइजी वरुण कुमार सिन्हा ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और इस मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स का गठन कर दिया.
दो डीएसपी व छह थानेदार टास्क फोर्स में शामिल. अमरपुर के तत्कालीन थानेदार बिरेन्द्र कुमार से सर्विस रिवॉल्वर की लूट मामले की जांच और रिवॉल्वर की बरामदगी के साथ ही अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर बुधवार को डीआजी ने दो डीएसपी के नेतृत्व में टास्क फोर्स गठित किया. टास्क फोर्स का नेतृत्व बांका एसडीपीओ शशि शंकर और भागलपुर के डीएसपी विधि व्यवस्था राजेश सिंह प्रभाकर करेंगे. इसमें छह थानेदारों को शामिल किया गया है जिनमें बांका जिले कटोरिया थानेदार प्रवेश कुमार भारती,
सुइया प्रभारी राज कुमार कुशवाहा, फुल्लीडुमर प्रभारी राजेन्द्र कुंवर, अमरपुर प्रभारी अजीत कुमार, मुंगेर जिले के तारापुर प्रभारी ब्रजेश कुमार और भागलपुर के अकबरनगर प्रभारी श्यामल किशोर साह को शामिल किया गया है. इस घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट बांका एसपी राजीव रंजन ने डीआइजी को भेज दी है.
अमरपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष से सर्विस रिवॉल्वर लूट मामले की जांच के लिए डीआइजी ने टास्क फोर्स गठित किया
तीन जिलों की पुलिस मामले की करेगी जांच
आठ नवंबर की देर रात अकबरनगर थाना क्षेत्र में सर्विस रिवॉल्वर लूटे जाने का मामला तत्कालीन अमरपुर थानाध्यक्ष बिरेंद्र कुमार ने दर्ज कराया था
ड्राइवर का मोबाइल कुछ दिन बाद बरामद किया गया, जिसके यहां मोबाइल मिला उसे जेल भेजने की तैयारी थी
शुरुआती जांच में मामला फर्जी
अमरपुर थाना प्रभारी बिरेन्द्र कुमार का सर्विस रिवॉल्वर आठ नवंबर की रात अकबरनर-शाहकुंड रास्ते में कथित तौर पर लूटी गयी थी. बिरेंद्र कुमार ने मामला दर्ज कराया था जिसमें लिखा था कि अपराधियों ने उससे 50 हजार रुपये तथा उसके ड्राइवर का मोबाइल भी छीन लिया था. अगले दिन घटनास्थल पर से पत्थर के नीचे से 15 हजार मिले. इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की गयी. जांच में पाया गया कि दोनों का मोबाइल घटना के समय से लगभग पांच घंटे पहले से ही ऑफ था.
वैज्ञानिक साक्ष्य बिरेंद्र कुमार द्वारा बनायी गयी कहानी के एकदम विपरीत निकला. बात सामने आयी कि पटना के ही आस-पास रिवॉल्वर गायब हुआ है. बाद में ड्राइवर का मोबाइल बरामद होना और जिसके पास से मोबाइल मिला उससे जेल भेजने की कोशिश किये जाने से इस घटना के फर्जी होने को ही बल मिल रहा है.