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रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देगा चिकन का शौक

भागलपुर : अगर आप मांसाहार खासकर चिकन के शौकीन हैं और आप हफ्ते में पांच दिन चिकन खाते हैं, तो यह खबर आपके सेहत के लिहाज से खतरे की घंटी है. आपका अधिक चिकन खाने का शौक आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देगा. हर दो दिन में दिया जाता है चूजों […]

भागलपुर : अगर आप मांसाहार खासकर चिकन के शौकीन हैं और आप हफ्ते में पांच दिन चिकन खाते हैं, तो यह खबर आपके सेहत के लिहाज से खतरे की घंटी है. आपका अधिक चिकन खाने का शौक आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देगा.

हर दो दिन में दिया जाता है चूजों को इंजेक्शन. पशु रोग विशेषज्ञों की माने तो पॉल्ट्री फॉर्म संचालक चूजों को हर दो दिन में एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाते हैं. सामान्य रूप से चूजों को पूरी तरह से तैयार होने में ढाई महीने का समय लगता है, जबकि एंटीबायोटिक इंजेक्शन के लगने से एक माह से कम समय में ही चूजे बड़े हो जाते हैं. इन दवाओं का धड़ल्ले से हो रहा इस्तेमाल सिप्लाक्स, टेरामाइसिन, जियोमाइसिन और ओफ्लाक्सासिन.
ये हो सकते हैं नुकसान
मेडिसिन विशेषज्ञों के मुताबिक इसका असर वही होता है, जो सामान्य रूप से बेवजह एंटीबायोटिक खाने से होता है. इसका बड़ा नुकसान रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना है.
एक अनुमान के मुताबिक जिंदगी में एक हजार से ज्यादा एंटीबायोटिक खाने से किडनी खराब हो सकती है. अगर आप को सौ साल जीना है, तो साल में एंटीबायोटिक की 10 गोली से ज्यादा न लें.
लगातार सेवन से किडनी और लिवर में गंभीर समस्या हो सकती है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से छोटी-सी बीमारी भी घातक हो जाती है.
भागलपुर : एक तथ्य
एक रजिस्टर्ड पॉल्ट्री फार्म
आठ से दस अवैध पॉल्ट्री फार्म
1000 चिकन तैयार होते हैं हर पॉल्ट्री फार्म में हर माह
नौ हजार चिकन शहर में हर माह होते हैं तैयार
सामान्य दिनों में चूजे बड़े होते हैं 40-50 दिन में
एंटीबायोटिक से चूजे तैयार होते हैं 20-25 दिन में
चूजों को एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा समय पूर्व तैयार करने की वजह से ज्यादा चिकन खाने वाले लोगों पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं हो पाता है. कई बार ऐसे मरीज आते हैं जिन पर एंटीबायोटिक बेअसर साबित होती है. ऐसे में इलाज में भारी दिक्कत आ जाती है. जब ऐसे मरीजों काउंसिलिंग की जाती है तो पता चलता है कि वे अपने भोजन में चिकन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
डॉ हेमशंकर शर्मा, अध्यक्ष, आइएमए भागलपुर सह फिजिशियन
एंटीबायोटिक दवाओं से तैयार हो रहे चूजे : दरअसल चूजों को जल्द बड़ा करने के लिए पॉल्ट्री फॉर्म में बड़ी मात्रा में एंटीबायोटिक का उपयोग किया जा रहा है. इसका मानव शरीर पर खराब असर पड़ रहा है. हाल ही में जारी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है. रिपोर्ट के अनुसार इन दवाओं का असर इतना तेज होता है कि करीब एक महीने में ही ये चूजे इतने बड़े हाे जाते हैं कि ये खाने लायक हो जाते हैं. लेकिन चूजों पर प्रयोग किये जा रहे एंटीबायोटिक इंजेक्शन से चिकन के शौकिनों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

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