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सान्याल की सुरधारा में लगाये गोते

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के ओल्ड पीजी कैंपस में शुक्रवार की शाम सुरों की नदिया स्वरांजलि के रूप में बही. उसमें विश्वविद्यालय व भागलपुर के संगीत प्रेमी गोते लगाते रहे. संगीत जगत के हस्ताक्षर पंडित ऋत्विक सान्याल ने न सिर्फ ध्रुपद गायन से आनंदित किया, बल्कि सुर की चपलता, स्थिरता, गंभीरता, गमक और धमक की […]

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के ओल्ड पीजी कैंपस में शुक्रवार की शाम सुरों की नदिया स्वरांजलि के रूप में बही. उसमें विश्वविद्यालय व भागलपुर के संगीत प्रेमी गोते लगाते रहे. संगीत जगत के हस्ताक्षर पंडित ऋत्विक सान्याल ने न सिर्फ ध्रुपद गायन से आनंदित किया, बल्कि सुर की चपलता, स्थिरता, गंभीरता, गमक और धमक की बारी-बारी से बेहतरीन अनुभूति करायी. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मंच कला संकाय के पूर्व अध्यक्ष सान्याल ने जब सुर छेड़ा, तो कोई यह विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि ऐसी आवाज और उसमें थिरकन बिना हृदय के सिर्फ गले से निकल सकती है.

सान्याल ने तानसेन के पद सुनाये और इसकी अनुभूति करा दी कि नाद की महिमा क्या होती है. पखावज पर दिल्ली के संजीत पाठक के ताल और दो छात्रों का तानपुरा पर संगत शास्त्रीय संगीत के इस महफिल को जवां बनाये रखा.
अब बहती ही रहेगी सुरधारा : निशा: पीजी संगीत विभाग की ओर से स्वरांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. टीएमबीयू के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने अतिथियों को सम्मानित किया. विभागाध्यक्ष डॉ निशा झा ने कहा कि ध्रुपद तानसेन की गायकी है, जिसे अकबर के दरबार में पहचान मिली. संगीत एक परफॉर्मिंग आर्ट है. यहां के छात्रों को शास्त्रीय संगीत सुनने, सुनाने का मौका नहीं मिल पाता है. इसी वजह से स्वरांजलि के रूप में एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. यह इसकी पहली कड़ी है. आगे भी इसमें कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकार आयेंगे और यहां के छात्रोें को भी मंच प्रदान किया जायेगा. पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ किरण सिंह, डॉ बालानंद सिन्हा, कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ अभिषेक तुषार भी मौजूद थे.

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