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कानपुर जैसा हादसा हुआ तो हांफ जायेगा जेएलएनएमसीएच

भागलपुर : कानपुर के पुखराया के पास रविवार की अलसुबह हुए रेल हादसे की चर्चा आज की तारीख में हर किसी की जुबां पर है. दुर्घटना कहीं भी हो सकती है. एेसे में बड़ा सवाल उठने लगा है कि इस तरह के हादसे से निपटने के लिए भागलपुर के सदर अस्पताल एवं जेएलएनएमसीएच में इलाज […]

भागलपुर : कानपुर के पुखराया के पास रविवार की अलसुबह हुए रेल हादसे की चर्चा आज की तारीख में हर किसी की जुबां पर है. दुर्घटना कहीं भी हो सकती है. एेसे में बड़ा सवाल उठने लगा है कि इस तरह के हादसे से निपटने के लिए भागलपुर के सदर अस्पताल एवं जेएलएनएमसीएच में इलाज के क्या इंतजाम है. दोनों अस्पतालों की वर्तमान हालत की बात करें तो अगर कानपुर जैसा रेल हादसा अगर भागलपुर या इसके अासपास में हुआ तो इलाज करने में मायागंज हांफ जायेगा.

मायागंज हॉस्पिटल का ट्रामा वार्ड आज की तारीख में डेंगू मरीजों का इलाज कर रहा है. मायागंज की इमरजेंसी में 40 बेड है. जिसमें मेडिसिन, सर्जरी व शिशु रोगियों की भरती की जाती है. ऐसे में एक्सीडेंट में घायल हुए लोगों के लिए सिर्फ सर्जरी वार्ड है. जिसमें बमुश्किल 25 बेड ही है, जो अक्सर भरा रहता है. यहां पर न तो एमआरआइ मशीन है और न ही न्यूरो फिजिशियन. यहां तक इमरजेंसी में आर्टिलरी ब्लड गैस व कार्डियक मानीटर तक नहीं है.

सदर अस्पताल की तो हालत ही खराब : हादसे का सामना करने में सदर अस्पताल तो पहले ही सरेंडर कर देगा. एक बेड का ट्रामा वार्ड तक नहीं है यहां पर. हल्के चोटिल मरीज भी मायागंज जाते हैं. यहां पर मामूली ड्रेसिंग के अलावा दुर्घटना से निपटने का कोई इंतजाम नहीं है.
साल भर पहले बीमार बच्चों के इलाज में बेदम हुआ था मायागंज : साल 2015 में छठ पूजा के बाद जगदीशपुर में छोला खाने से करीब 50 बच्चे बीमार हो गये थे. बच्चों को पीजी शिशु रोग में इलाज के लिए भरती कराया गया. यहां पर बेड फुल हो गये एसडीओ सदर कुमार अनुज ने हस्तक्षेप किया. तब किसी तरह से बच्चों का इलाज किया गया.

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