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शांतिधाम में उमड़ा भक्तों का सैलाब

कहलगांव का चप्पा-चप्पा हुआ भक्तिमय, देश-विदेश के कोने-कोने से आये भक्त महाभंडारा में 50 हजार श्रद्धालुओं ने पाया प्रसाद, देर रात श्रद्धालुओं का आना जारी कहलगांव : उत्तरवाहिनी गंगा के पवित्र गंगधार के बीच स्थित शांतिधाम पहाड़ पर मंगलवार को हर – हर गंगे व शांति बाबा की जयकारे के साथ ब्रह्मलीन शांति बाबा की […]

कहलगांव का चप्पा-चप्पा हुआ भक्तिमय, देश-विदेश के कोने-कोने से आये भक्त

महाभंडारा में 50 हजार श्रद्धालुओं ने पाया प्रसाद, देर रात श्रद्धालुओं का आना जारी
कहलगांव : उत्तरवाहिनी गंगा के पवित्र गंगधार के बीच स्थित शांतिधाम पहाड़ पर मंगलवार को हर – हर गंगे व शांति बाबा की जयकारे के साथ ब्रह्मलीन शांति बाबा की 46वीं पुण्यतिथि धूम- धाम व भक्ति- भाव से मनायी गयी. पुण्यतिथि में शहर के भक्तों के अलावा देश के कोने- कोने व विदेश के भी भक्त एक दिन पूर्व ही कहलगांव पहुंच गये थे. लगभग 50 हजार से भी अधिक भक्तों ने भंडारा में महाप्रसाद ग्रहण किया. भंडारा देर शाम तक चलता रहा व भक्तों का शांति धाम आने-जाने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा.दुल्हन की सजा था शांति धाम :पहाड़ का चप्पा-चप्पा बेली, चमेली, गुलाब, गेंदा की लड़ी व फूलों के गुलदस्ते से सजा था.
ढोल, मंजीरा, शंख, घड़ीघंट व मां गंगा की आरती के मधुर आवाज के बीच अनवरत पूजा-अर्चना का सिलसिला देर रात तक चलता रहा. शांति धाम के मुख्य पुजारी सह शांति बाबा के शिष्य केदार बाबा के नेतृत्व में पूजा-अर्चना व अनुष्ठान में भक्तों की भागीदारी रही. शांति बाबा के समाधि स्थल की पूजा, आरती, हवन सहित लक्ष्मी नारायण मंदिर, मां गंगा, मां अंबे , भगवान विष्णु, श्री कृष्ण, राम भक्त हनुमान की पूजा, ध्वजारोहण, हवन, गंगा पूजन, दीपदान, मध्य रात्रि मंगल महाआरती, 24 घंटे का रामायण पाठ के साथ पूरी रात भजन-कीर्तन चलता रहा. दिनभर भक्त जन महाप्रसाद ग्रहण करते रहे. दूसरे दिन रामायण पाठ की पूर्णाहुति के बाद ब्राह्मण व कन्याओं को भोजन कराया जायेगा. मौके पर शहर की साफ-सफाई नपं की ओर से विशेष तौर पर करायी गयी थी.
धाम जाने की व्यवस्था निःशुल्क :
शांति धाम की ओर से ही भक्तों के लिए 20 से भी अधिक निःशुल्क बड़ी नावों की व्यवस्था थी. सुबह से ही भक्तों की आवाजाही शुरू हो गयी थी. पटना, कोलकाता, नयी दिल्ली , मुंबई, चेन्नई, जयपुर, बेंगलुरु, हैदराबाद सहित पड़ोसी देश नेपाल, सिंगापुर, कनाडा के भी भक्त इस पुण्यतिथि में पहुंचे थे. देर शाम तक अप्रत्याशित भीड़ को देखते हुए केदार बाबा को माइक से भक्तों व नाविकों को यात्रा विराम करने की सलाह देना पड़ रहा था. आयोजन को सफल बनाने में बाबा के दर्जनों भक्त व स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका सराहनीय रही. आयोजन की समाप्ति के बाद बाबा ने अपने भक्तों को अंग वस्त्र देकर विदा किये.
कौन थे शांति बाबा
ब्रह्मलीन शांति दास ( शांति बाबा ) का जन्म राजस्थान के झुंझनू जिला में 1900 इसवीं को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की मध्य रात्रि में हुआ था. इनके बचपन का नाम वंशीधर व पिता का नाम लड्डू राम था. कहते हैं कि बिहार के गया स्थित फल्गु नदी तट पर शांति दास पिंडदान करने आये थे. चोरों ने इनका बैग चुरा लिया. इससे शांति दास विचलित नहीं हुए. पिंडदान के बाद वह अंग के सारे वस्त्र फल्गु तट पर ही फेंक लंगोटी में वह घर न लौट कर सीधे असम के गुवाहाटी स्थित कामरूप कामाख्या मंदिर पहुंच साधना में जुट गये. वह तारापीठ मंदिर के श्मशान में भी साधना किये. बेलूर मठ दीन दुखी लाल बाबा आश्रम में अरसे तक इनका पड़ाव रहा. मठ से गुरुमुख के बाद शांति दास भ्रमण में निकल कहलगांव स्थित पहाड़ी पहुंचे. और अंततः यहीं के हो कर रह गये. 14 नवंबर 1970 इसवीं एक अगहन को वह अपना शरीर त्याग ब्रह्मलीन हो गये. शांति बाबा मां गंगा को गंगिया कह कर बुलाते थे और अक्सर पहाड़ी स्थित एक पत्थर पर बैठ गंगिया से घंटों बातें करते रहते थे. बाबा के इच्छानुसार ही मरणोपरांत उन्हें पहाड़ी पर ही दफनाया गया. शांति बाबा की ख्याति दूर- दूर तक फैली है. पुण्यतिथि पर सभी पहुंचते हैं. 1970 से ही शांति बाबा के शिष्य केदार शर्मा उर्फ केदार बाबा पूजा-अर्चना व आश्रम संचालित कर रहे हैं.

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