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हजारों के कोर्स पर लाखों गंवा रहे छात्र

भागलपुर: एमएड कोर्स करने के लिए भागलपुर व आसपास के जिलों के छात्र-छात्राएं दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं. बिहार सरकार द्वारा हाल ही में एमएड कोर्स के लिए फीस निर्धारित की है. इसके मुताबिक सरकारी कॉलेजों में एमएड की पढ़ाई लगभग 26 हजार में पूरी हो जायेगी. लेकिन हजारों के इस कोर्स को करने के […]

भागलपुर: एमएड कोर्स करने के लिए भागलपुर व आसपास के जिलों के छात्र-छात्राएं दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं. बिहार सरकार द्वारा हाल ही में एमएड कोर्स के लिए फीस निर्धारित की है. इसके मुताबिक सरकारी कॉलेजों में एमएड की पढ़ाई लगभग 26 हजार में पूरी हो जायेगी. लेकिन हजारों के इस कोर्स को करने के लिए यहां के छात्र-छात्राएं लाखों रुपये गंवा रहे हैं. वजह, यहां सरकारी कॉलेजों में एमएड की पढ़ाई की सिर्फ सरकार ने अनुमति दी है, एनसीटीइ ने नहीं. इस कारण भागलपुर के अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय में एमएड की पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है और विद्यार्थी परेशान हैं.
मिले अनुमति, तो मेधा सूची पर होगा एडमिशन : राज्य सरकार ने एमएड की पढ़ाई के लिए संकल्प जारी कर दिया है. अब एनसीटीइ से अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय को मान्यता मिल जाये, तो छात्र-छात्राओं को काफी सहूलियत हो जायेगी. राज्य सरकार के निर्णय के मुताबिक एमएड में एडमिशन कोटिवार तैयार की जानेवाली मेधा सूची के आधार पर होगा. नामांकन के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी को प्रतिवर्ष 13 हजार रुपये शुल्क के रूप में जमा करना होगा. अनुसूचित जाति, जनजाति व नि:शक्त अभ्यर्थियों के लिए यह राशि 6500 रुपये प्रतिवर्ष होगी. यह राशि विद्यार्थियों के मासिक भोजन व आवास शुल्क को छोड़ कर होगी.
छात्रों ने बयां किया दर्द : भागलपुर के अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय से बीएड कर चुके दीपक कुमार दिनकर ने बताया कि वे खुद एमएड करना चाह रहे हैं. लेकिन बाहर जाकर कोर्स करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे सैकड़ों छात्र हैं. उन्होंने बताया कि कॉलेजों में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर की मुकम्मल व्यवस्था करे. कमियों को दूर कर ले. फिर मान्यता के लिए एनसीटीइ को आवेदन करे. एमएड की पढ़ाई के लिए बाहर जाना न्यायोचित नहीं है. बुद्धिजीवियों को आगे आना चाहिए. सभी छात्र मिलकर कमिश्नर से मिलेंगे. उम्मीद है कि वर्तमान कमिश्नर एमएड की पढ़ाई शुरू करने को लेकर सहयोग करेंगे.

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